नई दिल्ली/लखनऊ: योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में राम राज्य लागू करने की बात करते हैं. इस दिशा में वो काम भी कर रहे हैं. उनके काम करने के तौर तरीकों से कुछ लोगों को आपत्ति हो सकती है लेकिन उनकी नीयत पर उनके विरोधी भी बच बचाकर ही अंगुली उठाते हैं. लेकिन अब योगी आदित्यनाथ एक ऐसा काम करने जा रहे हैं जिसे सुनकर शायद आप भी यही कहेंगे-योगी जी, आपसे तो ये उम्मीद नहीं थी.
हालांकि, ममता बनर्जी, शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे सिंधिया और देवेंद्र फडणवीस.. उम्मीद तो इन सबने भी तोड़ी है.
दरअसल, इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद चोर रास्ता निकालने का काम किया है.
ग़ौरतलब है कि देश के लाइफ लाइन यानी सड़कों पर हर घंटे 14 लोगों को अपनी आगोश में इस कदर लेती है वो जिंदगी के मायने भूल जाते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 1 लाख 30 हजार लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाते हैं और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक सड़क दुर्घटना की सबसे बड़ी वजह नशा है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इसी चीज को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसबंर 2016 को आदेश दिया था कि नेशनल और स्टेट हाईवे के दोनों तरफ 500 मीटर के दायरे में शराब की बिक्री नहीं होगी.
इसी मामले में कल सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में किसी तरह की छूट देने से मना कर दिया. लेकिन अब खबर मिल रही है कि सुप्रीम कोर्ट के धारदार आदेश को भोथरा बनाने के लिए उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल की सरकार जुट चुकी है.
चोर रास्ता
मतलब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उन रास्तों पर आराम से शराब मिलेगी जिनको राज्य सरकारों ने स्टेट हाईवे की श्रेणी से हटा दिया है. खास बात है कि ऐसी ज्यादातर शराब की दुकानें रिहायशी इलाकों में हैं और वहां पर महिलाओं ने शराब की दुकानों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.
शराब के खिलाफ आम आदमी का ये गुस्सा राज्य सरकारों की चालबाजी के आगे दम तोड़ देगा क्योंकि खुद राज्य सरकारें कानून में फेरबदल कर इन दुकानों को बचाने में जुटी हुई हैं.
योगी आदित्यनाथ जिस तरह के शासन व्यवस्था का ख्वाब यूपी के लोगों को दिखा रहे हैं, उसमें शराब के लिए चोर रास्ते की जगह तो कतई नहीं दिखी होगी, लेकिन जिस किसी को इस बात की खबर मिली कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तोड़ निकालने के लिए योगी सरकार बाईपास को राजमार्ग बनाने में जुटी है, वो हैरान रह गया.
ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जनवरी में दो महत्वपूर्ण स्टेट हाईवे को डिनोटिफाई कर दिया था और अब टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के मुताबिक ममता सरकार राज्य के दूसरे कई जिलों के बाईपास को स्टेट हाईवे का दर्जा देने की तैयारी कर रही है ताकि वहां की शराब दुकानों में तालाबंदी ना हो. ममता बनर्जी का ये फैसला उनके मां, माटी और मानुष के नारे को खोखला साबित करता है.
बीजेपी शासित प्रदेशों के इन मुख्यमंत्रियों के बारे में भी खबर है कि ये अपने राज्य के कई शहरों के स्टेट हाईवे को डिनोटिफाई करने की तैयारी कर रहे हैं ताकि शराब से मिलनेवाले उनके राजस्व में कोई कमी ना आये. यहां ये सोचनेवाली बात है कि इनके लिए कमाई ज्यादा जरूरी है या फिर आम आदमी की जान?
शराब के खिलाफ आम आदमी के इस गुस्से को सुप्रीम कोर्ट ने जुबां दी है लेकिन आम आदमी की भलाई का दम भरने का दावा करने वाली कुछ सरकारें इस मामले में दांवपेंच खेलकर आम आदमी की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही हैं.