A To Z: क्या है महाभियोग और जज को कैसे पद से हटाया जा सकता है?
महाभियोग लाने वाले प्रस्ताव पर कांग्रेस के अलावा एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और मुस्लिम लीग के सांसदों ने प्रस्ताव के नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं.
![A To Z: क्या है महाभियोग और जज को कैसे पद से हटाया जा सकता है? know in depth what is impeachment motion, how a judge can be removed A To Z: क्या है महाभियोग और जज को कैसे पद से हटाया जा सकता है?](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/04/20172652/deepak-2.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के ख़िलाफ़ दिए गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस के बाद अब नज़रें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू पर होंगी. नियम के मुताबिक़ नायडू के पास इस नोटिस को मंज़ूर या नामंज़ूर, दोनों करने का विकल्प हैं.
महाभियोग की प्रक्रिया क्या है ? सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के किसी जज को हटाने के लिए महाभियोग का प्रावधान संविधान की धारा 124 ( 4 ) में किया गया है, जिसे महाभियोग कहा जाता है. संविधान के इस प्रावधान को लागू करने के लिए Judges Inquiry Act के तहत नियम बनाए गए हैं.
प्रस्ताव के लिए कितने सांसदों की जरूरत? नियम के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज के ख़िलाफ़ महाभियोग लाने का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में दिया जा सकता है. अगर प्रस्ताव राज्य सभा में लाना हो तो कम से कम 50 राज्यसभा सांसदों का समर्थन और अगर लोकसभा में लाना हो तो कम से कम 100 लोकसभा सांसदों का समर्थन अनिवार्य है.
राज्यसभा सभापति को करना है फैसला जस्टिस दीपक मिश्रा के मामले में प्रस्ताव राज्यसभा में लाया गया है. ऐसे में अब राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को फ़ैसला करना है कि प्रस्ताव पर दिए गए नोटिस को मंज़ूर करना है या नहीं.
नायडू मंजूर करते हैं तो एक जांच कमेटी बनानी होगी वेंकैया नायडू अगर नोटिस मंज़ूर करते हैं तो उस हालत में नियम के मुताबिक़ उन्हें जस्टिस मिश्रा पर लगे आरोपों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बनानी होगी. इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश, किसी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक क़ानूनविद की नियुक्ति की जाएगी.
कमेटी रिपोर्ट सौंपेगी, आरोप सही हुए तो बहस होगी आरोपों की जांच के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट वेंकैया नायडू को सौंपेगी. अगर रिपोर्ट में जस्टिस मिश्रा पर लगे आरोप ग़लत पाए गए तो मामला वहीं ख़त्म हो जाएगा. आरोप सही पाए जाने की हालत में इस प्रस्ताव को राज्यसभा में पेश किया जाएगा और उसपर बहस की जाएगी.
संसद में CJI भी रखेंगे अपना पक्ष बहस के दौरान जस्टिस मिश्रा को भी सदन में अपनी बात रखने का मौक़ा दिया जाएगा. बहस के बाद अगर प्रस्ताव पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा से विशेष बहुमत ( सदन के कुल सदस्यों का 50 फ़ीसदी और मौजूद सदस्यों का दो तिहाई बहुमत ) से पारित हो जाता है तो जस्टिस मिश्रा को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ेगी.
रिटायरमेंट से पहले जांच पूरी करनी होगी हालांकि आरोपों की जांच के लिए बनाई गई कमिटी के सामने अपनी जांच पूरी करने और रिपोर्ट देने की कोई समयसीमा नहीं है. ऐसे में 2 अक्टूबर को जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायरमेंट से पहले इस पूरी प्रक्रिया को पूरा कर लेना होगा.
महाभियोग का इतिहास वैसे आजतक संसद में कोई भी महाभियोग प्रस्ताव या तो पारित नहीं हो पाया या संसद पहंचने के पहले ही जज ने इस्तीफ़ा दे दिया. 1993 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश वी रामास्वामी के ख़िलाफ़ राज्यसभा में तो प्रस्ताव पारित हो गया लेकिन लोकसभा में पारित नहीं हो पाया.
प्रस्ताव अस्वीकार होता है तो विपक्ष क्या करेगा? हालांकि कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि अगर वेंकैया नायडू नोटिस को मंज़ूर करते हैं तो ठीक है लेकिन अगर नामंज़ूर करते हैं तो उनके फ़ैसले को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. हालांकि उन्होंने ये साफ़ नहीं किया कि वो नोटिस नामंज़ूर होने की हालत में कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे या नहीं.
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![तहसीन मुनव्वर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/3df5f6b9316f4a37494706ae39b559a4.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)