नई दिल्ली: देश लोकसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा है, लोकतंत्र के इस त्योहार में शामिल होने के लिए देश करीब 91 करोड़ वोटर भी तैयार हैं. सरकार अपने अब तक किए काम के दम पर जनता के बीच है. वहीं विपक्ष सरकार के काम पर सवाल खड़ा कर जनता के सामने नए विकल्प पेश कर रहा है. इस पूरी रस्साकसी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी कार्यक्रम शुरू हो चुका है, प्रधानमंत्री लगातार विपक्ष पर हमलावर हैं.


साल 2014 में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ी बीजेपी के सामने पांच साल बाद अपना ही प्रदर्शन चुनौती बनकर खड़ा है. इसके साथ ही 2019 में पांच साल सरकार चलाने के बाद कई मुद्दे प्रधानमंत्री मोदी के सामने भी कई चुनौतियां खड़ी हैं. 2019 में जीत पक्की करने के लिए प्रधानमंत्री को इन सभी मुद्दों पर जवाब देना जरूरी है. क्योंकि ये सभी मुद्दे सीधे जनता से जुड़े हैं.


2019 के मुद्दे जो पीएम मोदी के लिए हैं चुनौती
बेरोजगारी: रोजगार एक ऐसा मुद्दा है जिस पर बीजेपी के विरोधी से लेकर कुछ साभी तक सवाल उठा रहे हैं. विपक्ष ना सिर्फ प्रधानमंत्री को लगातार दो करोड़ रोजगार का दावा याद दिला रहा है बल्कि छोटे रोजगार के खत्म होने को लेकर सरकार पर सवाल भी उठा रहा है. 2019 में बेरोजगारी का मुद्दा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगा. प्रधानमंत्री ने लोकसभा में जुलाई 2018 में कहा था कि पिछले एक साल में रोजगार के एक करोड़ अवसर पैदा हुए. देश के आर्थिक आंकड़ों पर नजर रखने वाली संस्था सीएमआईई के मुताबिक जुलाई 2018 में बेरोजगारी दर 5.7 थी.


जीएसटी पर व्यापारियों की नाराजगी: आजादी के बाद के सबसे बड़े टैक्स सुधार के रूप में सामने आए जीएसटी भी 2019 में प्रधानमंत्री मोदी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. व्यापारियों के एक वर्ग में जीएसटी को लेकर नाराजगी देखी जा रही है. उनका मानना है कि जीएसटी आने के बाद उनके व्यापार पर सीधा असर पड़ा है. जीएसटी से नाराजगी का खामियाजा बीजेपी को गुजरात चुनाव में भी उठाना पड़ा था, जहां बीजेपी ने सत्ता में वापसी तो कर ली लेकिन विपक्ष ने कड़ी टक्कर मिली.


दलित में नाराजगी: दलित और आदिवासी समुदाय में भी केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी देखी जा रही है. आरोप है कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद दलितों पर हमले बढ़े हैं बीजेपी ने इसे रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए. प्रधानमंत्री मोदी ने इस हिंसा के खिलाफ कभी सीधे कुछ नहीं बोला. दलितों और आदिवासियों के खिलाफ बीजेपी के इस गुस्से की शुरुआत रोहित बेमुला की हत्या के बाद शुरू हुई. देश में दलित की आबादी 16 प्रतिशत है, बीजेपी के खिलाफ ये नाराजगी अगर ऐसी ही बनी रही तो 2019 में प्रधानमंत्री मोदी को नुकसान हो सकता हैं.