Gujarat Election 2022: केजरीवाल या खुद के दम पर BJP को टक्कर दे पाएंगे इसुदान गढ़वी, जानें 5 कमजोरी और मजबूत पक्ष
Gujarat Assembly Election 2022: इसुदान गढ़वी पेशे से पूर्व पत्रकार रह चुके हैं. उन्होंने कई गुजराती न्यूज चैनल में काम किया है. इसुदान ने इस दौरान महामंथन नाम से एक कार्यक्रम की एंकरिंग करते थे.
Gujarat Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) की तारीखों का ऐलान हो चुका है. इस बार गुजरात में आम आदमी पार्टी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी है. वह सीधे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनाम आप (AAP) का चुनावी मुकाबला करने की पूरी कोशिश कर रही है. आप ने इसुदान गढ़वी (Isudan Gadhvi) को पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है. इनके नाम का ऐलान होते ही हर कोई उनके बारे में जानने की कोशिश करने लगा है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या इसुदान गढ़वी केजरीवाल या खुद के दम पर बीजेपी को गुजरात में टक्कर दे पाएंगे. चलिए जानते हैं उनकी 5 कमजोरी और 5 मजबूत पक्ष क्या है.
- मजबूत पक्ष क्या हैं?
इसुदान गढ़वी पेशे से पूर्व पत्रकार रह चुके हैं. उन्होंने कई गुजराती न्यूज चैनल में काम किया है. इसुदान ने इस दौरान महामंथन नाम से एक कार्यक्रम की एंकरिंग करते थे. गुजराती भाषा में होने वाले इस कार्यक्रम ने इसुदान राज्य में काफी पहचान दिलाई. अपने कार्यक्रम में गढ़वी किसानों के मुद्दों को उठाते थे. खासतौर पर किसानों के बीच इसुदान गढ़वी काफी लोकप्रिय हो गए. - आप के मुख्यमंत्री उम्मीदवार इसुदान गढ़वी खुद एक किसान परिवार से आते रखते हैं. पिता खेराजभाई गढ़वी अभी भी खेती करते हैं, जो गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी छवि को एक किसान के बेटे के रूप में पेश करेगी. इसका फायदा उन्हें मिल सकता है. इसुदान ने पत्रकार रहते हुए वापी, पोरबंदर, जामनगर, अहमदाबाद और गांधीनगर में काम किया. यहां पर वह काफी लोकप्रिय भी है. जो चुनाव में गढ़वी को फायदा पहुंचा सकता है.
- इसुदान गढ़वी ओबीसी वर्ग से आते हैं और गुजरात में करीब 48 प्रतिशत से ज्यादा ओबीसी मतदाता हैं. इसुदान की जाति गढ़वी है. गुजरात के राजकोट, जामनगर, कच्छ, बनासकांठा, जूनागढ़ समेत कुछ अन्य जिलों में गढ़वी समाज की अच्छी संख्या है. आम आदमी पार्टी ने इसको ध्यान रखते हुए उनको सीएम फेस बनाया है. ऐसे में गढ़वी के जरिए आम आदमी पार्टी को किसानों और पिछड़े वर्ग का साथ मिल सकता है.
- दरअसल, सियासी तौर पर गढ़वी समाज की भागीदारी काफी कम रही है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी से पूर्व में पुष्पदान गढ़वी और वीके गढ़वी मंत्री, विधायक और सांसद बने हैं, लेकिन यह पहला बार है जब गढ़वी समाज के किसी शख्स को किसी पार्टी ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में उनके साथ एक बड़ा वर्ग जुड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है.
- वहीं, आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद पार्टी का खुद एक बड़ा चेहरा हैं. वह दिल्ली में किए गए अपने कामों को गुजरात में जोरों शोरों से गिनाते हैं. साथ ही पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार के काम को भी रैलियों प्रेस कॉन्फेंस में गिनाने से नहीं चुकते हैं. कुल मिलाकर इसुदान गढ़वी के सीएम चेहरा बनने से आप को गुजरात में बड़ा फायदा हो सकता है.
- कमजोर पक्ष क्या है?
इसुदान गढ़वी का सबसे कमोजर पक्ष ये माना जा सकता है कि उनके सामने 26 सालों से राज्य की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करना है. साथ ही कांग्रेस से भी उनको कड़ी चुनावी टक्कर मिलेगी. - आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार इसुदान गढ़वी के सामने सबसे चुनौती खुद गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे. पीएम मोदी के चेहरे के सामने इसुदान गढ़वी का सियासी कद काफी छोटा है और ये उनके लिए सबसे बड़ी कमोजरी साबित हो सकती है.
- इसुदान को आप ने सर्वे के तहत पार्टी का सीएम कैंडिडेट बनाया है, लेकिन पार्टी के और भी नेता उनके साथ सीएम उम्मीदवार के इस रेस में शामिल थे. अब जब सबको पीछे छोड़ते हुए इसुदान के नाम का ऐलान हुआ है, तो क्या वह नेता इनको पूरी तरह से चुनाव के समय सपोर्ट करेंगे. ये सबसे बड़ा सवाल है जो सबके मन में उठ रहा है.
- चौथी सबसे कमजोरी सत्तारूढ़ दल हिंदुत्व, विकास और डबल इंजन के विकास के मुद्दे पर गुजरात में मजबूत दावेदारी पेश कर रहा है. वहीं, इसुदान गढ़वी के सामने चुनौती होगी की वह बीजेपी के इस दावेदारी को किन मुद्दों के जरिए काट निकालते हैं.
- इसुदान गढ़वी के सामने सबसे पहले खुद के लिए विधानसभा क्षेत्र का चयन करना होगा. वह किस सीट से चुनाव लड़ेंगे क्योंकि गुजरात के अंदर करीब हर सीट पर बीजेपी मजबूत रही है. लिहाजा, इसुदान गढ़वी का सीट चयन उनके सियासी सफर के भविष्य को तय करेगा.
गुजरात में कब होने हैं चुनाव?
चुनाव आयोग ने गुरुवार (3 नवंबर) को गुजरात (Gujarat Assembly Election) की चुनावी तारीखों का एलान कर दिया है. पहले राउंड का मतदान 1 दिसंबर को होगा और दूसरे चरण की वोटिंग (Voting) 5 दिसंबर को होगी. इसके बाद 8 दिसंबर को चुनाव का नतीजा आएगा. इसी दिन हिमाचल प्रदेश के चुनावी नतीजों का भी एलान होना है. चुनाव के एलान के साथ ही गुजरात में अधिसूचना लागू हो गई है. 14 नवंबर तक उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर सकते हैं और नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 17 नवंबर है.
यह भी पढ़ेंः