Congress President Election: एक ने बचपन में झेली त्रासदी तो दूसरे की लंदन में शुरू हुई परवरिश, जानें कैसे परिवारों से आते हैं खड़गे-थरूर
Kharge Vs Tharoor: वरिष्ठ कांग्रेसी मल्लिकार्जुन खड़गे और तिरुवनंतपुरम सांसद शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मुकाबले में हैं. दोनों के फैमिली बैकग्राउंड में खासा अंतर है.
Mallikarjun Kharge Vs Shashi Tharoor Family Background: कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव (Congress President Election) के दोनों उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और शशि थरूर (Shashi Tharoor) की पारिवारिक पृष्ठभूमि में जमीन-आसमान का अंतर है. मल्लिकार्जुन खड़गे का शुरुआती जीवन त्रासदी और संघर्ष से भरा रहा तो थरूर की परवरिश एक हाई प्रोफाइल परिवार में हुई. मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस (Congress) के जमीनी नेता रहते हुए विभिन्न पदों पर रह चुके हैं तो थरूर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख (UN chief) के पद तक का चुनाव लड़ चुके हैं. आइये जानते हैं दोनों के फैमिली बैकग्राउंड के बारे में.
मल्लिकार्जुन खड़गे का फैमिली बैकग्राउंड
मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म 21 जुलाई 1942 को कर्नाटक के बीदर जिले के वरवत्ती गांव में हुआ था. उस समय यह इलाका हैदराबाद के निजाम के शासन में आता था. खड़गे के पिता का नाम मापन्ना खड़गे और माता का नाम साईबव्वा है. खड़गे दलित समुदाय से आते हैं. उनकी पत्नी का नाम राधाबाई खड़गे है. खड़गे दंपति के तीन बेटे और दो बेटियां हैं. उनके बेटे प्रियांक खड़गे भी राजनीति में हैं और कर्नाटक के कलबुर्गी जिले की चित्तापुर विधानसभा सीट से दूसरी बार कांग्रेस के विधायक हैं.
दंगे में खो दी मां
खड़गे जब सात वर्ष थे जब सांप्रदायिक दंगों ने उनकी मां और परिवार के कई सदस्यों को उनसे छीन लिया. यहां तक कि परिवार को घर छोड़ने पर भी मजबूर होना पड़ा. तब परिवार गुलबर्गा आकर रहने लगा, जिसे अब कलबुर्गी कहा जाता है. जीवन के संघर्ष ने खड़गे को पक्का कर दिया और उन्हें जमीनी नेता के तौर पर जाना जाने लगा. उन्होंने छात्र जीवन से राजनीति में कदम रखा था. गुलबर्गा के सरकारी कॉलेज में उन्हें छात्रसंघ के महासचिव के रूप में चुना गया था.
हॉकी-कबड्डी और फुटबॉल के खिलाड़ी भी रहे खड़गे
विद्यार्थी जीवन में खड़गे ने अपने कॉलेज और यूर्निवर्सिटी की तरफ से हॉकी टूर्नामेंट खेले. उन्होंने कबड्डी और फुटबॉल में भी कई जिला और संभागीय स्तर के पुरस्कार हासिल किए. लंबे समय तक उन्होंने वकालत की. 1969 में वह सक्रिय राजनीति में कूदे. उन्हें गुलबर्गा सिटी कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. तब से लेकर अब तक वह कई चुनाव जीत चुके हैं. कर्नाटक में खड़गे को 'सोलिलादा सरदारा' यानी 'अजेय सरदार' बुलाया जाता है.
80 साल के खड़गे अपने जीवन के पांच दशक से ज्यादा का समय राजनीति में दे चुके हैं. इस दौरान वह विधायक से लेकर राज्य सरकार में मंत्री, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, सांसद, केंद्रीय रेल मंत्री, श्रम मंत्री, राज्यसभा सांसद, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष आदि पदों पर रहे हैं. अगर वह कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो एक और उपलब्धि उनके राजनीतिक करियर में जुड़ जाएगी.
शशि थरूर का फैमिली बैकग्राउंड
शशि थरूर का जन्म 10 मार्च 1956 को लंदन में हुआ था. उनके पिता का नाम चंद्रन थरूर और माता का नाम सुलेखा थरूर है. वे मूल रूप से केरल के पलक्कड़ के रहने वाले थे. थरूर की दो छोटी बहनें शोभा और स्मिता हैं. थरूर के पिता ने भारत में दिल्ली, बॉम्बे (अब मुंबई), कलकत्ता (अब कोलकाता) और लंदन में विभिन्न पदों पर काम किया, जिसमें 25 वर्ष का अंग्रेजी अखबार द स्टेट्समैन में किया गया काम भी शामिल है. थरूर के पिता अखबार में ग्रुप एडवरटाइजिंग मैनेजर तक बनाए गए.
थरूर के चाचा ने शुरू की थी 'रीडर्स डाइजेस्ट' पत्रिका
शशि थरूर के चाचा परमेश्वरन ने भारत में 'रीडर्स डाइजेस्ट' नाम की पत्रिका शुरू की थी जोकि पाठकों के बीच खासी लोकप्रिय मानी जाती है. थरूर जब दो वर्ष के थे तब उनके माता-पिता भारत वापस लौट आए थे. थरूर ने स्कूल से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई भारत के विभिन्न स्कूलों-कॉलेजों से की और फिर अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय पर 1976 में अमेरिका से एमए किया. इसके बाद उन्होंने कानून और कूटनीति में भी एक बार फिर एमए किया. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संबंध विषय को लेकर पीएचडी भी की.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख का लड़ा चुनाव
राजनीति में प्रवेश करने से पहले शशि थरूर ने लंबे समय तक संयुक्त राष्ट्र में काम किया. यूएन में वह संचार और जन सूचना के लिए अवर-महासचिव और महासचिव के वरिष्ठ सलाहकार रहे. 2006 में शशि थरूर ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख का चुनाव लड़ा लेकिन बान की मून से हार गए. यूएन में काम करने के बाद थरूर ने राजनीति में प्रवेश किया और 2009 में पहली बार संसद के लिए निर्वाचित हुए. 66 वर्षीय थरूर तिरुवनंतपुरम से लगातार तीसरी बार सांसद हैं. हालांकि, पार्टी के संगठनात्मक पदों पर उन्होंने काम नहीं किया है जबकि खड़गे एक अनुभवी नेता माने जाते हैं.
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