नई दिल्लीः पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की आयु में सोमावार को निधन हो गया. प्रणब दा विनम्र और शालीन व्यक्तित्व के धनी थे. लेकिन उन्हें सख्त फैसले में भी गुरेज नहीं रहा. उन्होंने अफजल गुरु, अजमल कसाब और याकूब मेमन जैसे आतंकियों की दया याचिका खारिज कर उन्हें फांसी के फंदे तक पहुंचाया.




अपने कार्यकाल में प्रणब दा ने 97 फीसदी दया याचिकाएं खारिज की थी. उन्होंने 37 प्रार्थियों से जुड़ी 28 दया याचिकाओं को खारिज किया और सिर्फ चार दया याचिकाओं पर फांसी को उम्रकैद में बदला था जो बिहार में 34 लोगों की हत्या के मामले में दोषी थे. प्रणब दा के कार्यकाल में अफजल गुरु, अजमल कसाब और याकूब दया याचिकाएं सबसे चर्चित रहीं.

अजमल कसाब
अजमल कसाब मुंबई के 26/11 के आतंकी हमले का दोषी था. वह हमले में जिंदा पकड़ में आया अकेला पाकिस्तानी आतंकी था. कसाब को मुंबई की अदालत ने 6 मई 2010 को मौत की सजा सुनाई थी. इसके बाद 21 फरवरी 2011 को बॉम्ब हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा. 29 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषी माना और मौत की सजा सुनाई गई. इस सजा के खिलाफ राष्ट्रपति मुखर्जी के पास दया याचिका लगाई. 5 नवंबर 2012 को राष्ट्रपति ने याचिका खारिज कर दी और 21 नवंबर 2012 को कसाब को फांसी दे दी गई.


 अफजल गुरु

अफजल गुरु को संसद पर हमले का दोषी पाया गया था और 18 दिसंबर 2002 को दिल्ली की अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई. 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी सजा बरकरार रखी. इसके बाद राष्ट्रपति के पास लंबित दया याचिका को प्रणब दा ने 3 फरवरी 2013 को खारिज कर दिया और 9 फरवरी 2013 को उसे फांसी दी गई.


याकूब मेमन
याकूब मेमन को 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए धमाकों का दोषी पाया गया था और 2007 में टाडा कोर्ट और 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने मेमन की मौत की सुनाई. 29 जुलाई 2015 राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दया याचिका के जरिए अपील की गई जिसे राष्ट्रपति ने उसी दिन खारिज कर दिया. 30 जुलाई 2015 को याकूब मेमन को फांसी दे दी गई.


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