नई दिल्ली: महिला पुलिसकर्मीयों ने कोरोना काल मे न सिर्फ अपने परिवार का ध्यान रखा, बल्कि अपने काम में भी कोई कमी नहीं आने दी. इन्होंने अपने परिवार के साथ साथ अपने साथियों का भी पूरा ख्याल रखा. साथ ही काम पूरी निष्ठा से किया. महिला इंस्पेक्टर नीरज टोकस की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.


नीरज टोकस बताती हैं, "कोरोना वायरस के समय हमारा दिन बहुत मुश्किल रहा. हमारे पुलिस कर्मचारी जिन्हें कोरोना वायरस हो रहा था, उनका ध्यान रखने की जिम्मेदारी मुझे दी गई. कई लोग घबरा जाते थे, कई लोग डिप्रेस्ड और परेशान होते थे. उनकी मदद करना मेरी जिम्मेदारी थी, उनकी दवाई उपलब्ध कराई. करीब 200 पुलिस कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हुए थे, जिनमें से दो की मृत्यु हो गई थी." उन्होंने अपनी इस ज़िम्मेदारी को कैसे निभाया इस बारे में बताते हुए कहा, "वीडियो कॉल पर बात करती थी सबसे, और हर रोज़ 5 घंटे इसमें लगते थे. कांस्टेबल्स मेरे बच्चों जैसे ही हैं, इसलिए मुझसे बात कर के उन्हे अच्छा लगता था."


कोरोना महामारी ने समाज के हर वर्ग को प्रभावित किया, जहां महिलाएं अलग अलग जिम्मेदायियां उठाती दिखीं, वहीं, पुरुषों ने भी कामकाजी पत्नी की मदद की और घर को बखूबी संभाला. नीरज टोकस ने बताया, "मेरे पति ने घर के कामों में बहुत मदद की, सब्जी मेरे पति बनाते थे. मैं घर जाकर रोटी बनाती थी. मेरे दोनों बेटों ने घर की सफाई की."


महिला दिवस पर संदेश देते हुए उन्होंने कहा, "Chose to challenge' महिलाएं चुनौतियों से डरे नहीं, वो चाहें तो सब कुछ कर सकती हैं."


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