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क्या है बीजेपी कार्यकर्ता पर यूपी पुलिस के अत्याचार का सच?
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि यूपी की पुलिस बीजेपी के कार्यकर्ताओं को बेरहमी से पीट रही है. चलिए जानते हैं क्या है बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर यूपी पुलिस के अत्याचार का सच.
44 सेकेंड के वायरल वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया पर लोग कई तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं. दावा है कि यूपी पुलिस बीजेपी कार्यकर्ताओं पर अत्याचार कर रही है. लोग वीडियो शेयर करते हुए लिख रहे हैं, 'यूपी पुलिस की गुंडागर्दी हद से ज्यादा, बीजेपी कार्यकर्ता को बाइक से उतारकर मार रहे हैं. इससे शर्म की बात क्या हो सकती है.'
ये दावा है..इस दावे के सच का पता हम लगाएंगे लेकिन उससे पहले 44 सेकेंड के इस वीडियो में क्या हो रहा है वो जानते हैं.
सबसे पहले वीडियो में बाइक पर एक शख्स बैठा दिख रहा है और उससे दो पुलिस वाले बात कर रहे हैं. वीडियो में तीसरे सेकेंड पुलिस वाला बाइक पर बैठे शख्स के हाथ से बीजेपी का झंडा छीनते हुए दिखाई देता है. बीजेपी का झंडा इसलिए क्योंकि उस पर कमल का निशान बना हुआ है. उसके बाद पुलिसवाला दो बार डंडा मारते हुए दिखता है फिर गाड़ी स्टैंड पर लगवाई जाती है और उस शख्स को सड़क के एक किनारे से दूसरे किनारे तक ले जाया जाता है.
सवाल ये है कि बाइक पर बैठा शख्स क्या वाकई बीजेपी का कार्यकर्ता है? ऐसा क्या हुआ था कि पुलिस वालों ने शख्स को डंडे से मारा? और 44 सेकेंड की ये तस्वीरें यूपी में किस जगह की है?
इन सवालों का जवाब जानने के एबीपी न्यूज ने वायरल वीडियो की पड़ताल शुरू की. इस वीडियो को शेयर करते हुए ये दावा भी किया गया था कि कहानी यूपी के मथुरा की है. इसलिए वायरल सच की टीम ने यूपी के मथुरा में पड़ताल शुरू की. पड़ताल में हमें कुछ और तस्वीरें भी मिली.
पड़ताल में सामने आया कि ये मामला 14 फरवरी का है. जब प्रदीप बंसल अपनी बाइक से बीजेपी जिलाध्यक्ष से मिलने जा रहे हैं. उनकी बाइक पर दो झंडे लगे हुए थे. एक तिरंगा था और दूसरा बीजेपी का झंडा. आगे क्या हुआ ये खुद प्रदीप बता रहे हैं...
प्रदीप के ने कहा, घटना 14 तारीख की है. जिलाध्यक्ष से मिलने जा रहा था. बाइक पर दो झण्डे लगे थे. चौकी इंचार्ज ने बाइक रुकवाकर अनुमति दिखाने को कहा. खींचकर बीजेपी का झण्डा उतारा और तिरंगा उतारने से दूसरे पुलिसवाले ने रोका, आपको सस्पेंड होना पड़ सकता है कहने पर मारपीट की और हवालात में बंद कर दिया.
प्रदीप बंसल के मुताबिक उन्होंने जब कृष्णा नगर चौकी इंचार्ज हरविंदर मिश्रा से कहा कि तिरंगे के अपमान पर सस्पेंड हो सकते हैं तो उनके साथ पुलिस वालों ने बदसलूकी की और रातभर थाने में बंद रखा.
लेकिन यहां ये जानना जरूरी था कि क्या बाइक पर किसी पार्टी का झंडा लगाने को लेकर कोई नियम है या नहीं. क्योंकि पुलिस ने प्रदीप बंसल की बाइक रोककर उनसे झंडा लगाने की अनुमति दिखाने को कहा था.
चुनाव आयोग में सलाहकार केजे राव ने कहा, 'आदर्श आचार संहिता चुनाव खत्म होने और चुनाव का नतीजा घोषित होने तक लागू होती है. किसी एक जगह हो जाने के बाद भी नियम नहीं तोड़े जा सकते. यानि जिस दिन चुनाव आयोग चुनाव की तारीख की घोषणा करता है उस दिन से लेकर नतीजे घोषित होने तक.'
एबीपी न्यूज की पड़ताल में सामने आया है कि आचार संहिता के मुताबिक बिना अनुमति के बाइक पर किसी पार्टी का झंडा लगाकर नहीं घूम सकते. लेकिन यहां सवाल ये है कि अगर बिना इजाजत झंडा लगा भी था तो पुलिस को डंडा चलाने का अधिकार किसने दिया?
हमारी पड़ताल में वायरल वीडियो सच साबित हुआ है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion