नई दिल्लीः आज वित्त मंत्री अरुण जेटली केंद्र की एनडीए सरकार का चौथा बजट पेश करने जा रहे हैं. इस बार 1 महीना पहले यानी 1 फरवरी को बजट पेश होने के साथ-साथ और भी कई अहम बातें हैं जो इस बजट को खास बना रही हैं. इस बार का बजट नोटबंदी, आईडीएस स्कीम और सरकार की कई तरह की नई योजनाओं के बाद पहला बजट होगा.


इस बार बजट के खास होने के 10 अहम कारण ये हैं


1. फरवरी को पेश हो रहा है आम बजट
आम बजट के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब बजट दस्तावेज 29 फरवरी से एक महीना पहले 1 फरवरी को संसद में पेश होगा. सरकार की दलील है कि 1 फरवरी को बजट लाने से इसके प्रावधानों को लागू करने का काम समय से हो पाएगा. वर्ना 1 अप्रैल यानी नए वित्त वर्ष से बजटीय प्रावधानों को लागू कर पाना सरकार के लिए मुश्किल हुआ करता था. हालांकि इस बार 4 फरवरी से 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव भी हैं तो विपक्षी पार्टियां सरकार के जल्दी बजट पेश करने के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और सुप्रीम कोर्ट का रुख तक कर चुकी थीं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ केंद्र सरकार को 1 फरवरी को बजट पेश करने की मंजूरी दे दी थी.


2. आम बजट के साथ पेश होगा रेल बजटः
इस बजट के साथ सबसे बड़ी बात ये है कि इस बार रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया जाएगा. अब तक रेल बजट को आम बजट और आर्थिक सर्वेक्षण से पहले पेश किया जाता रहा है. सबसे पहले रेल बजट और इसके बाद आर्थिक सर्वे और इसके बाद केंद्रीय बजट संसद में पेश होता था. एनडीए की सरकार ने पिछले साल ही रेल बजट के साथ आम बजट पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.


3. नोटबंदी के बाद सरकार का पहला बजटः
देश के आर्थिक इतिहास की सबसे अहम घटनाओं में से एक नोटबंदी के बाद ये सरकार का पहला बजट है. 8 नवंबर 2016 को पीएम मोदी के नोटबंदी के ऐलान के बाद देश की अर्थव्यवस्था पर जो असर हुआ है उसका सटीक आंकड़ा इस बजट में पेश किया जा सकता है. नोटबंदी के बाद सरकार के पास जो पैसा आया है और इकोनॉमी में जो बदलाव आया है उसके आधार पर सरकार निश्चित ही बजट में कुछ बड़े ऐलान कर सकती है.


4. प्लान्ड और नॉन प्लान्ड एक्सपेंडिचर खत्म किए जा सकते हैं:
सरकार पहली बार देश के बजटीय इतिहास में योजना खर्च और गैर योजना खर्च (प्लान्ड और नॉन प्लान्ड एक्सपेंडिचर) को खत्म कर सकती है. इसकी जगह सरकार रेवेन्यू एक्सपेंडिचर और कैपिटल एक्सपेंडिचर का मॉडल अपना सकती है.


5. GST के लागू होने से पहले का बजटः
पूरे देश में एक टैक्स व्यवस्था लागू होने की तारीख 1 जुलाई 2017 है और ये बजट उससे पहले टैक्स ढांचे को तय करने में ये बजट अहम भूमिका निभा सकता है. राज्यों के बीच अलग-अलग टैक्स की दरों को एकसमान करने से पूरे देश की गुड्स की कीमतें समान होंगी और सरकार के पास भी यूनिफॉर्म टैक्स आएगा.


6. इनकम टैक्स रेट में बदलाव संभवः
हाल ही में एसबीआई की ‘ईकोरैप’ रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार नोटबंदी के बाद देश की इकोनॉमी को बढ़ाने के लिए डायरेक्ट टैक्स में बड़े बदलाव ला सकती है. इसमें ये भी कहा गया है कि इनकम टैक्स की लिमिट भी बढ़ाकर 3 लाख रुपये की जा सकती है. वहीं आर्थिक जगत के कुछ जानकारों का मानना है कि इस बजट में इनकम टैक्स लिमिट बढ़ाकर 4 लाख रुपये तक भी की जा सकती है. तो आम जनता को टैक्स के बोझ से कुछ राहत मिलने की उम्मीद इस बार की जा सकती है.


7. कैशलेस इकोनॉमी बनाने के लिए बजट में बड़े ऐलान संभवः
नोटबंदी के बाद देश में कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए काफी उपाय किए गए हैं. भीम एप के जरिए सरकार आम लोगों को भी डिजिटल ट्रांजेक्शन ज्यादा से ज्यादा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. माना जा रहा है कि इस बजट में सरकार ऑनलाइन और डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ाने के लिए कुछ ऐलान कर सकती है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग डिजिटल पेमेंट की तरफ जा सकें.


8. आईडीएस स्कीम के बाद पहला बजट
सरकार ने काला धन मालिकों के लिए अपनी काली कमाई को घोषित करने का आखिरी मौका दिया. पेनल्टी और टैक्स देकर काले धन को सफेद बनाने की सरकार की स्कीम के बाद ये पहला बजट होगा.


9. नकद ट्रांजेक्शन पर पहली बार टैक्स का ऐलान संभवः
देश में कैश ट्रांजेक्शन की संख्या कम करने के लिए इतिहास में पहली बार सरकार कैश लेनदेन पर कोई टैक्स लगा सकती है. कई दिनों से सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि सरकार 50 हजार रुपये से ज्यादा के नकद लेनदेन पर टैक्स लगा सकती है. ऐसा हुआ तो देश में कैश ट्रांजेक्शन की संख्या में निश्चित तौर पर कमी आएगी और ऑनलाइन लेनदेन बढ़ेंगे.


10. डिजिटल इकोनॉमी के लिए पहली बार नए ऐलान संभवः
नोटबंदी के बाद पहली बार पेश हो रहे बजट में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ाने के लिए नए ऐलानों की उम्मीद है. इस बार सरकार देश को कैशलेस इकोनॉमी बनाने के लिए ऑनलाइन, डिजिटल पेमेंट पर छूट के ऐलान कर सकती है.


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