अहमदाबाद: ''दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल''. महात्मा गांधी को साबरमती के संत की उपाधि अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे उनकी ओर से बसाये गए साबरमती आश्रम की वजह से दी गई थी. इस आश्रम को अब गांधी आश्रम के तौर पर भी जाना जाता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अहमदाबाद में जिन ठिकानों में जायेंगे उनमें से एक साबरमती आश्रम भी है. हालांकि खबर ये भी आ रही है कि आगरा के ताज महल देखने के कारण वक्त की कमी के चलते साबरमती आश्रम का दौरा रद्द भी किया जा सकता है.
बहरहाल आश्रम की ओर से उनके स्वागत की पूरी तैयारियां कर ली गईं हैं और सीक्रेट सर्विस और एस.पी.जी ने साबरमती आश्रम को अपने सुरक्षा घेरे में ले लिया है. इस आश्रम का 60 साल पुराना अमेरिकी रिश्ता रहा है. साल 1959 में अमेरीका के अश्वेत नागरिक अधिकारों के सेनानी डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग जब भारत आये थे तब वे गांधीजी से जुडे कई ठिकानों पर भी गये. उनमें से एक था अहमदाबाद का साबरमीत आश्रम. किंग, महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के विचारों से काफी प्रभावित थे और साबरमती आश्रम में आकर वे काफी भावुक हो उठे थे.
गांधीजी के इन्ही विचारों को अपना हथियार बनाकर किंग ने अमेरिका में अश्वेतों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ जंग लड़ी थी. किंग ने भारत आकर कहा था कि बाकी जगहों पर मैं पर्यटक के तौर पर जाता हूं लेकिन भारत में, मैं तीर्थयात्री के तौर पर आया हूं. साल 2009 में किंग की भारत यात्रा के 50 साल पूरे होने पर उनके बेटे मार्टिन लूथर किंग तृतीय भी इस आश्रम में आये थे.
डोनल्ड ट्रंप के स्वागत के लिये साबरमती आश्रम में तैयारियां पूरी हो चुकीं हैं. उनकों भेंट देने के लिये एक छोटा सा चरखा तैयार रखा गया है. आश्रम ट्रस्ट के पदाधिकारी विराट कोठारी ने ने बताया कि चरखा स्वाबलंबन और गांधी के विचारों का प्रतीक है, इसलिये उन्हें ये दिया जायेगा.
डोनल्ड ट्रंप के सामने आश्रम की विजिटर्स डायरी भी पेश की जायेगी और उसपर उन्हें अपनी टिप्पणी लिखने को कहा जायेगा. इस डायरी में दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्षों और नामचीन चेहरों की टिप्पणियां दर्ज हैं. जापान के पीएम शिंजो आबे और चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग भी यहां आ चुके हैं.
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