नई दिल्ली: राफेल डील का मुद्दा चुनावी बन चुका है और चुनाव जीतने के लिए हर कोई दांव चलने में जुटा है. 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने जाति के जोर पर 2019 का चुनाव जीतने की तैयारी तेज कर दी है. पिछड़ी जातियों के साथ बैठक करके बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से पीएम बनाने की प्लानिंग की है.
साल 2019 में मोदी को फिर से पीएम बनाने के लिए बीजेपी ने पिछड़ों को लामबंद करना शुरू किया है. इस साल 7 अगस्त से 24 सितंबर तक बीजेपी ने पिछड़ों का सम्मेलन किया. इस दौरान जाट, कुर्मी, यादव, गुज्जर सहित 40 जातियों की बैठक हुई. यूपी में पिछड़ी बिरादरी के क़रीब 54 फीसदी वोटर हैं, यादव को छोड़कर बाकी पिछड़ी जातियां बीजेपी के साथ दिखती हैं.
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लेकिन बीजेपी का जोर तो यादव वोट पर भी है. साल 2014 में यादवों ने ज्यादातर जगहों पर बीजेपी का साथ दिया था. बीजेपी पिछड़ों को गोलबंद इसलिए भी कर रही है क्योंकी पार्टी ये संदेश नहीं देना चाहती कि सत्ता में अगड़ों का बोलबाला है.
- सीएम आदित्यनाथ- राजपूत हैं
- डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा- ब्राह्मण
- और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे भी ब्राह्मण हैं.
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बीजेपी ने पिछड़ों को जोड़ने की जिम्मेदारी दूसरे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को दी है. दर्शकों को बता दें कि बीजेपी के सामने जातीय सम्मेलन करने की चुनौती इसलिए खड़ी हुई क्योंकि यूपी में मायावती और अखिलेश यादव गठबंधन करने वाले हैं. अखिलेश के पास 9 फीसदी यादव वोट का आधार है. एससी, मुस्लिम और यादव का समीकरण बीजेपी को नुकसान कर सकता है. इस समीकरण का मुकाबला करने के लिए बीजेपी तमाम पिछड़ी जातियों को पिछड़े मोदी के नाम पर गोलबंद करने का काम कर रही है.