नई दिल्ली: देश का बजट पेश होने में कुछ घंटे का ही समय बचा है. कल यानी 1 फरवरी 2018 को वित्त मंत्री अरुण जेटली देश का आम बजट पेश करेंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश का बजट कैसे बनता है और इसे कौन बनाता है? इस प्रक्रिया में कौन-कौन शामिल होते हैं और किस प्रिटिंग प्रेस में इसकी छपाई होती है?


दरअसल वित्त मंत्रालय के तहखाने में अत्याधुनिक प्रिटिंग प्रेस बना हुआ है. वित्त मंत्रालय के करीब 100 कर्मचारी 24 जनवरी से प्रेस में बंद हो जाते हैं. इन कर्मचारियों के रहने खाने-पीने वगैरह का इंतजाम प्रेस में ही होता है. अगर कोई कर्मचारी बीमार पड़ जाए तो उसके लिए एक डॉक्टर का भी इंतजाम होता है. बीमारी ज्यादा गंभीर हुई तो उसे राममनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया जाता है जहां कड़ी सुरक्षा में उसे भर्ती कराया जाता है, लेकिन वहां वो अपने परिवार से भी मिल नहीं सकता.


31 जनवरी को वित्त मंत्रालय के 250 औऱ पीआईबी के करीब 100 अधिकारी व कर्मचारी प्रेस पहुंचते है, जिसके बाद उनका बाहरी दुनिया से सपर्क टूट जाता है. पीआईबी की टीम में सूचना अधिकारियों के साथ एनआईसी के भी लोग शामिल होते हैं. सभी लोग वित्त मंत्री का भाषण खत्म होने के बाद ही प्रेस से बाहर निकल सकते हैं.


कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को विशेष पास मिलता है जिसके आधार पर वो कभी भी अंदर या बाहर आ सकते हैं. सबसे आखिर में वित्त मंत्री के भाषण की छपाई होती है. वित्त मंत्री चाहें तो रात 10 बजे भी अपने भाषण में फेरबदल कर सकते हैं. आईबी सभी के लिए विशेष पास जारी करता है जिसके आधार पर ही कोई भी प्रेस में आ जा सकता है. विशेष क्षेत्र से निकलने के पहले पास जमा कराना जरुरी होता है.


अब ढ़ाई हजार कॉपी छापी जाती है जबकि पहले ये संख्या आठ हजार थी. ढ़ाई हजार में आठ सौ के करीब तो केवल सांसदो के लिए होता है. छपाई व पैकिंग पूरा हो जाने के बाद विशेष सुरक्षा दस्ते के साथ दस्तावेज संसद भवन पहुंचाया जाता है. संसद भवन में उसे वहां के सुरक्षा अधिकारी अपने कब्जे में ले लेते हैं. वित्त मंत्रालय में मीडिया को पहली दिसंबर से आने पर रोक लगा दी जाती है. केवल विशेष परिस्थितियो में विशेष पास के आधार पर ही मीडियाकर्मी वित्त मंत्रालय के भीतर जा सकते हैं.