नई दिल्ली: कृषि कानून को लेकर रार बढ़ता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने भले ही तीनों कृषि कानून के अमल पर अभी रोक लगा दी हो लेकिन अब किसान नेता सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त चार सदस्यीय समिति पर सवाल उठा रहे हैं. किसान नेताओं ने साफ तौर पर कहा है वो इस समिति से बात नहीं करेंगे क्योंकि इन समिति के सदस्यों ने अतीत में नए कृषि कानून का समर्थन किया है. अब सवाल ऐसे में ये उठता है आखिर कैसे इस समस्या का समाधान निकलेगा.


सुप्रीम कोर्ट ने गठित की है चार सदस्यों की समिति


सुप्रीम कोर्ट ने कल अपने आदेश में चार सदस्यों की समिति के गठन का निर्देश दिया है. ये समिति अगले 10 दिनों में अपना कामकाज शुरू करेगी और 2 महीनों में समिति अपनी रिपोर्ट देगी. समिति का सारा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी तो वहीं अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 8 हफ़्तों के बाद सुनवाई करेगा. समिति में भारतीय किसान यूनियन और आल इंडिया कोऑर्डिनेशन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, कृषि अर्थशास्त्री और साउथ एशिया इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ प्रमोद जोशी, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी व शेतकरी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट शामिल हैं.


समिति से किसानों का बातचीत से इंकार


सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति को लेकर किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि, वो पहले ही स्पष्ट कर चुके है कि वो किसी भी समिति से बातचीत नहीं करेंगे. वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, जब तक कानून वापस नहीं होता तब तक किसानों की घर वापसी नहीं होगी और आंदोलन जारी रहेगा. इसके साथ ही उन्होंने समिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि समिति के सदस्य लगातार इस बिल के समर्थन में बोलते रहे हैं.


कौन है समिति के सदस्य


भूपिंदर सिंह मान: 81 वर्षीय मान भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं. वर्ष 1990 से लेकर 1996 तक राज्यसभा सदस्य रहे हैं, राज्यसभा के लिए मान को राष्ट्रपति ने नामित किया था. हाल ही में भूपिंदर सिंह मान ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर कानूनों का समर्थन किया था.


अशोक गुलाटी: कृषि अर्थशास्त्री गुलाटी अभी वर्तमान में इंडियन काउंसिल फ़ॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स रिलेशन(ICRIER) में इंफोसिस के प्रोफेसर हैं, प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सबसे कम उम्र के सदस्य थे, 2015 में अशोक गुलाटी को पदम् श्री सम्मान से नवाजा गया था.


प्रमोद जोशी: मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले जोशी का कृषि शोध में बड़ा नाम है. अभी वर्तमान में प्रमोद जोशी दक्षिण एशिया के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान(IFPRI) के निदेशक हैं. जोशी को कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं.


अनिल धनवत: शेतकरी संगठन महाराष्ट्र के प्रमुख हैं. इस संगठन का महाराष्ट्र के किसानों पर बड़ा प्रभाव है. अनिल धनवत ने भी नए कृषि कानून का समर्थन किया था, हालांकि इनका ये भी कहना था कानून में कुछ संशोधन होने चाहिए.


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