हमारे देश का हर कोना आस्था और भक्ति से सराबोर है. यहां अनेक परंपरा के मंदिर पाए जाते हैं और सभी मंदिर के अपने कुछ नियम और विशेषताएं होती हैं. भारत में ऐसे ही पांच मंदिर हैं जहां पर सिर्फ महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी गई है और पुरुषों का वहां जाना वर्जित है. यहां के रीति-रिवाज और परंपराएं पुरुषों के प्रवेश पर रोक लगाती हैं और इसके बजाय महिलाओं को देवता की पूजा करने की अनुमति देती हैं.


कन्याकुमारी में स्थित कुमारी अम्मन मंदिर


कुमारी अम्मन मंदिर के गर्भगृह में मां भगवती दुर्गा हैं.  मंदिर ब्रह्मचारी या सन्यासी को केवल मंदिर के द्वार तक प्रवेश करने की अनुमति देता है. हालांकि विवाहित पुरुषों को भी परिसर में प्रवेश करने की मनाही है. ये मंदिर उस स्थान के लिए माना जाता है जहां माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी.


बिहार में माता मंदिर


बिहार में माता मंदिर केवल पीरियड्स के समय महिलाओं को जाने की अनुमति देता है. मंदिर अपने नियमों का इतनी सख्ती से पालन करता है कि उस दौरान पुरुष पुजारी भी मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करते हैं. मंदिर केवल महिलाओं में बदल जाता है, क्योंकि तब माना जाता है कि देवी को मासिक धर्म होता है.


केरल में अट्टुकल भगवती मंदिर


केरल का अट्टुकल भगवती मंदिर देश का एक ऐसा मंदिर है जो खुद को महिला प्रधान मंदिर होने पर गर्व करता है. मंदिर के पोंगाला उत्सव जिसमें लाखों महिलाओं ने भाग लिया उसने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह बनाई है. पोंगाला 10 दिनों का त्योहार है जो फरवरी और मार्च के बीच आता है.


राजस्थान में ब्रह्माजी मंदिर


राजस्थान का ब्रह्माजी मंदिर भगवान ब्रह्मा के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है. यहां 14वीं सदी के इस मंदिर में शादीशुदा पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर झील में एक यज्ञ किया था. उन्हें पत्नी देवी सरस्वती के साथ ये यज्ञ किया था. लेकिन देवी सरस्वती को इस कार्यक्रम के लिए देर हो गई थी, इसलिए उन्होंने देवी गायत्री से विवाह किया और अनुष्ठान पूरा किया, जिसके चलते क्रुद्ध देवी सरस्वती ने मंदिर को श्राप दे दिया कि किसी भी विवाहित पुरुष को गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है.


आंध्र प्रदेश में कामाख्या मंदिर


गुवाहाटी के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर की तरह विशाखापत्तनम में कामाख्या पीठ में भी हर महीने कुछ दिनों के लिए पुरुषों के प्रवेश पर रोक लग जाती है. मासिक धर्म की अवधि के दौरान महिलाओं की गोपनीयता का पालन करने के लिए मंदिर पुरुषों को चार से पांच दिनों तक प्रवेश करने से रोकता है.