बिहार (Bihar) में जदयू-बीजेपी (BJP-JDU) का गठबंधन टूट गया है. ऐसे में अब राज्यसभा के उपसभापति और जदयू के सांसद हरिवंश के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. इनके उप-सभापति पद पर बने रहने को लेकर भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. इन सबके बीच चलिए आपको बताते हैं क्या है राज्यसभा के उप-सभापति को हटाने की प्रक्रिया ? 


राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि जदयू के एनडीए को छोड़ देने के बाद हरिवंश राज्य सभा के उप-सभापति पद से इस्तीफा देंगे या अपने पद पर कायम रहेंगे. हालांकि, अभी तक हरिवंश ने खुद इस मामले को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है. 


उप-सभापति को हटाने की प्रक्रिया 


उपसभापति उपराष्ट्रपति को लिखित में देकर पद से त्यागपत्र दे सकता है. उन्हें राज्यसभा सदस्यों द्वारा साधारण बहुमत से पारित प्रस्ताव से भी हटाया जा सकता है. जब ऐसा संकल्प विचाराधीन हो, तो उपसभापति सदन की बैठक की अध्यक्षता नहीं कर सकता लेकिन, वह उपस्थित हो सकता है और कार्यवाही में भाग ले सकता है. 


राज्य सभा के उपसभापति का चुनाव राज्यसभा के सदस्यों में से ही करते हैं. ऐसे में उसे राज्यसभा सदस्यों द्वारा पूर्ण बहुमत से पारित एक प्रस्ताव, यानी सदन की पूर्ण सदस्यता के बहुमत से भी हटाया जा सकता है. जब ऐसा कोई संकल्प विचाराधीन हो, तो उपसभापति सदन की बैठक की अध्यक्षता नहीं कर सकता, लेकिन वह उपस्थित हो सकता है. 


हरिवंश को लेकर लग रहे कई कयास 


अगर बीजेपी या एनडीए के नेता हरिवंश को इस्तीफा देने के लिए कहते हैं तो वे उपसभापति पद से अपना इस्तीफा देंगे. 


हरिवंश एक हफ़्ते बाद नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे और उनसे अपना विरोध दर्ज कराएंगे. अगर सीएम नीतीश कुमार इस्तीफा देने के लिए कहते हैं तो वे अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे. 


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