(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जानिए- ग्वालियर राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया को, दादी-पिता की विरासत को बढ़ा रहे हैं आगे
ज्योतिरादित्य सिंधिया, आजादी के पहले ग्वालियर के शाही मराठा सिंधिया राजघराने के वंशज हैं.दादी दिवंगत राजमाता सिंधिया जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल थीं.पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं.
मध्य प्रदेश की राजनीति में ग्वालियर राजघारने की तूती बोलती रही है. आजाद हिंदुस्तान में मध्य प्रदेश, राजस्थान की राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में इस घराने की गूंज रही है. राजमाता विजयाराजे सिंधिया, उनके बेटे माधव राव सिंधिया, बेटियां वसुंधरा राजे सिंधिया, यशोधरा राजे सिंधिया और पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया देश की राजनीति में हमेशा एक चमकते सितारे की तरह रहे हैं. अभी मध्य प्रदेश की राजनीति में जो भूचाल आया है इसकी धूरी में भी उसी घराने के चश्मो चिराग ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं.
पिता माधव राव सिंधिया के निधन के बाद राजनीति में कदम रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सियासत की शुरुआत कांग्रेस से की. घराने के पारंपारिक सीट से चुनाव जीतते रहे, पहली बार लोकसभा का चुनाव हारे भी, लेकिन राजनीतिक हैसियत कभी भी कम नहीं रही.
याद रहे कि गुना संसदीय सीट को लेकर ऐसा माना जाता है कि यहां जीत का सेहरा उसी के सिर बंधता है, जिसे सिंधिया राजघराने का साथ मिलता है. लेकिन इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया को यहां से हार मिली.
कौन हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया ज्योतिरादित्य सिंधिया, आजादी के पहले ग्वालियर के शाही मराठा सिंधिया राजघराने के वंशज हैं और उनकी दादी दिवंगत राजमाता सिंधिया जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल थीं. माधवराव सिंधिया भी अपनी माता के बाद 1971 में जनसंघ में शामिल हो गये थे और साल 1971 के लोकसभा चुनाव में 'इंदिरा लहर' के बावजूद मां और पुत्र दोनों अपनी-अपनी सीटों पर विजयी हुए.
साल 1980 में माधवराव सिंधिया, इंदिरा गांधी की कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये. कांग्रेस ने आपातकाल के दौरान उनकी मां को जेल में बंद रखा था. माधवराव की बहनों वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे अपनी मां के पदचिह्नों पर चलते हुए बाद में बीजेपी में शामिल हुईं.
माधवराव सिंधिया की प्लेन क्रैश में मौत और ज्योतिरादित्य की राजनीति में एंट्री
30 सितम्बर 2001 को ग्वालियर राजघराने के उत्तराधिकारी और कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया की उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई. सिंधिया उस वक्त कानपुर में एक कार्यक्रम में जा रहे थे. 2001 में उनके निधन के बाद 2002 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतरना पड़ा. अपने पहले ही चुनाव में ज्योतिरादित्य ने जीत हासिल की. इसके बाद वो गुना सीट से लगातार जीतते रहे. 2014 की मोदी लहर में जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सारे दिग्गज नेता चुनाव हार गए थे और 29 में से केवल दो सीटें ही कांग्रेस को मिली थी, उस दौरान भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारी अंतर से जीत दर्ज की थी.
ज्योतिरादित्य सिंधिया का ऐसा रहा सफर
माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिनती कांग्रेस के हाईली एजुकेटेड नेताओं में होती रही है. ज्योतिरादित्य ने दून स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई की. इसके बाद वो इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन के लिए हावर्ड यूनिवर्सिटी चले गए. सिंधिया ने स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल से एमबीए की डिग्री भी हासिल की है. ज्योतिरादित्य सिंधिया, मनमोहन सिंह की सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे. भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रिमंडल में वो वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री रहे.