उत्तराखंड: जानें योगी के बनाए कॉलेज की कहानी, जहां मुस्लिम हैं इसके प्रिंसिपल
यमकेश्वर: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि को एक 'कट्टर हिंदू नेता' के रूप में देखा जाता है और बीते समय में योगी ने अपने आपत्तिजनक भाषणों से भी इस बात को जाहिर किया है. अपनी इस छवि के कारण ही योगी को बीजेपी का 'फायरब्रांड नेता' कहा जाता है. हालांकि, इस बीच में उनके पास कुछ ऐसा भी जिसे उनकी छवि का सुनहरा हिस्सा कहा जा सकता है.
यूपी के पड़ोसी राज्य में योगी आदित्यनाथ ने स्कूल की स्थापना करवाई थी, यह स्कूल अपने आप में कुछ खास है. यह स्कूल अपने धार्मिक सौहार्द के लिए जाना जाता है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक साल 1999 में योगी ने अपने पैतृक जिला पौड़ी में महायोगी गुरूगोरखनाथ डिग्री कॉलेज की स्थापना की थी. कॉलेज के प्रिसिंपल आफताब अहमद का कहना है कि यह डिग्री कॉलेज धार्मिक, जातिगत और रंगभेद की बेड़ियों से आजाद है. उन्होंने कहा, 'वह अपने एक कमरे के ऑफिस में बैठते हैं जहां कई हिंदू देवताओं और स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरे लगी हैं.'' उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनने के बाद इस कॉलेज की स्थापना की गई थी.
अहमद ने बताया कि इस कॉलेज में 150 छात्र पढ़ते हैं, जिसमें लड़कियों की संख्या ज्यादा है. इस स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक नीट क्वालिफाईड हैं. सबसे खास बात यह है कि जिले का यह एकमात्र डिग्री कॉलेज है. इस कॉलेज की चर्चा करते हुए अहमद कहते हैं, ''हमारा लक्ष्य छात्रों को शिक्षा देना है ताकि वे मानवता के मुल्यों को आगे बढ़ा सकें और सहिष्णु बन सकें.''
योगी आदित्यनाथ के बड़े भाई महेंदर सिंह बिष्ट इस कॉलेज के एडमिनिश्ट्रेटर हैं, इनका कहना है, ''इस कॉलेज में किसी भी तरह के भेदभाव की कोई जगह नहीं है. यह कॉलेज किसी भी तरह के विचारधारा को आगे नहीं बढ़ाता है. यह कॉलेज एक मुस्लिम प्रिंसिपल की देखरेख में चलता है, जो होली के त्योहार पर मुझे सबसे पहले रंग लगाते हैं और धार्मिक मौकों पर दीया भी जलाते हैं.''
इस कॉलेज में इतिहास पढ़ाने वाले मुकेश त्यागी कहते हैं, ''यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की निजी विचारधारा जो भी हो, लेकिन वह इस कॉलेज को थोड़ा भी प्रभावित नहीं करता है. इस कॉलेज का एकमात्र उद्देश्य शिक्षा देना है. यह जगह किसी भी तरह के सांप्रदायिक तनाव और भेदभाव से हमेशा दूर रहा है.'' कॉलेज की एक छात्रा सरिता कहती हैं, ''कॉलेज आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए एक वरदान है, जो पढ़ाई के लिए कोटद्वार या ऋषिकेश नहीं जा सकते."