जानें उन गुमनाम नायकों के बारे में जिन्हें सबसे बड़े नागरिक सम्मान से नवाजा जा रहा है
नई दिल्ली: आज पूरा देश 68वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस खास तारीख पर देश की आवाम संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यों को निभाने की शपथ लेते हैं. यह दिन इस मायने में भी खास होता है कि आज उन लोगों को सम्मानति किया जाता है जिन्होंने देश की उन्नति और मजबूती के लिए अपना योगदान दिया हो. आज के कई लोगों को नागरिक सम्मान दिया जाएगा जिसमें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण शामिल हैं.
आईए आपको बताते है कि वे कौन-कौन लोग है जिन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है
शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले जैन संत सुंदर महाराज को पद्म भूषण
गुजरात के जैन संत रत्न सुंदर महाराज को पद्म भूषण सम्मान मिला है. आध्यात्म के विचार को बढ़ावा देने और आध्यात्म के जरिए दुनिया को शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले जैन संत रत्न सुंदर सुरीश्वरजी महाराज को सरकार ने पद्म भूषण सम्मान देने का एलान किया है.
69 साल के रत्न सुंदर महाराज का जन्म 5 जनवरी 1948 को गुजरात के डेपला में हुआ था. उन्होंने 50 साल पहले 1967 में दीक्षा ली थी. आध्यात्म पर करीब उन्होंने 300 से ज्यादा किताबें लिखीं हैं. मातृभाषा गुजराती में लिखी इनकी किताबों का हिंदी, इंग्लिश, मराठी, उर्दू और फ्रेंच भाषाओं में अनुवाद हो चुका है.
कोलकाता के दमकल कर्मचारी बिपिन गनात्रा को उनके साहत के लिए पद्मश्री
कोलकाता के बिपिन गनात्रा. ये वो गुमनाम हीरो हैं जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के खतरे से खेलते हुए कई लोगों की जान बचाई है. कोलकाता के अग्निरक्षक के नाम से जाने जाते हैं 59 साल के बिपिन गनात्रा. ये ना तो दमकल विभाग के कर्मचारी हैं और ना ही इन्होंने फायर फाइटिंग की कोई ट्रेनिंग ली है. इनके बारे में कहा जाता है कि कोलकाता में कहीं आग लगी हो वहां ये मदद के लिए फौरन पहुंच जाते हैं.
आग में भाई की मौत के बाद गनात्रा ने आग से लोगों को बचाने का काम शुरू किया. जान जोखिम में डालकर ये लोगों की मदद कर रहे हैं. कई घटनाओं में तो ये दमकल कर्मियों से भी पहले पहुंच जाते हैं. आप भी जानना चाहेंगे कि गनात्रा को आग की खबर मिलती कहां से है. कभी जूट फैक्ट्री तो कभी घरों में बिजली का काम करने वाले गनात्रा कोलकाता के देबेंद्र मलिक स्ट्रीट पर साधारण से घर में रहते हैं. 40 साल से बिना किसी स्वार्थ के लोगों की सेवा कर रहे गनात्रा को पद्म श्री सम्मान मिला है.
76 साल की मार्शल आर्ट टीचर मीनाक्षी अम्मा को पद्म सम्मानजिस उम्र में लोग दूसरे के सहारे जीना शुरू कर देते हैं, उम्र की उस दहलीज को पार करते हुए 76 साल की मीनाक्षी अम्मा कलरीपयट्ट मार्शल आर्ट सिखाती हैं. मीनाक्षी अम्मा को भारत सरकार की तरफ से पद्म सम्मान मिला है.
मीनाक्षी अम्मा भारत की सबसे बुजुर्ग कलरीपयट्ट एक्सपर्ट हैं. आपको बता दें कि कलरीपयट्ट भारत की सदियों पुरानी मार्शल आर्ट कला है, जो खास तौर से केरल में खेली जाती है. मीनाक्षी अम्मा कलरीपयट्ट का अभ्यास पिछले 68 सालों से कर रही हैं और अब युवाओं और बच्चों को ये मार्शल आर्ट सिखाती हैं. केरला के वटकारा गांव में इनका गुरुकुल है जहां देश-विदेश से लोग कलरीपट्ट सीखने आते हैं. मीनाक्षी अम्मा को लोग प्यार से तलवार वाली दादी भी कहते हैं. पारंपरिक पहनावे में मीनाक्षी अम्मा को यूं तलवार बाजी करते देख हर कोई हैरान हो जाता है.
पर्यावरण नायक बाबा बलवीर सीचेवाल को पद्म सम्मान, जिन्होंने काली बीन नदी को नई जिंदगी दी
पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले बाबा बलबीर सीचेवाल को सरकार ने पद्म सम्मान देने का निर्णय किया है. बदबू मारती नदी का कायापलट करने वाले बाबा बलबीर को उनकी मेहनत के लिए सरकार उन्हें पद्म सम्मान दे रही है. पंजा की प्रदूषित काली बीन नदी को अब बाबा बलबीर के नाम से जाना जाता है.
बाबा बलबीर सिंह को उनके इस कारस्तानी की वजह से दुनिया के पर्यावरण नायक में से एक माना जाता है. पंजाब की प्रदुषित काली बीन नदी का कायाकल्प सीचेवाल ने अकेले दम पर किया. जिस नदी में कूड़े का ढेड़ पड़ा रहता था, जिस काली बीन नदी की बदबू से लोग इसके आस-पास भटकना नहीं चाहते थे, आज सीचेवाल की मेहनत की वजह से उस नदी के किनारे लोग पिकनिक मनाने आते हैं.
आपको बता दें कि काली बीन नदी होशियारपुर जिले में 160 किलोमीटर क्षेत्र में बहती है. सीचेवाल नदी की सफाई और पर्यावरण की अहमियत को जागरूकता फैलाते हैं. कई लोग तो अब उन्हें ECO बाबा और रस्तेवाले बाबा के नाम से भी जानते हैं. 51 साल के समाजसेवी सीचेवाल ने अपने मेहनत और लगन से ये साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति हो तो कोई भी काम असंभव नहीं है.
91 साल की उम्र में कांपती हाथों से गरीब लोगों का मुफ्त इलाज करने वाली डॉक्टर दीदी को पद्म सम्मान
डॉक्टर भक्ति यादव उर्फ डॉक्टर दीदी को सरकार का सम्मान देर से मिला. इनकी उम्र 91 साल की हो चुकी है लेकिन कांपते हाथों से अब भी गरीबों का मुफ्त इलाज करती हैं. जिस उम्र में शरीर खुद डॉक्टरो की चक्कर काट रहा होता है, उस उम्र में डॉक्टर भक्ति यादव जरूरतमंद का इलाज कर रही हैं. 91 साल की ये बुजुर्ग पिछले 68 साल से लगातार मरीजों का मुफ्त में इलाज कर रही है.
मध्य प्रदेश की डॉक्टर भक्ति यादव को डॉक्टर दादी के नाम से जाना जाता है. इनके हाथों से करीब 1000 बच्चों की डिलवरी हो चुकी है. डॉ दादी खुद उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां उनकी सेहत साथ नहीं दे रही लेकिन जरूरत मंदो के इलाज के लिए वो अपना दर्द भूल कर क्लिनिक में मौजूद होती हैं. इंदौर की पहली महिला MBBS का कहना है कि वो जब तक जिंदा हैं, मरीजों की सेवा करती रहेंगी.