पाकिस्तान में चीनी भाषा को आधिकारिक दर्जा देने का वायरल सच
दावे की माने तो अब पाकिस्तान में उर्दू या पंजाबी नहीं बल्कि चीनी भाषा में सारे काम किए जाएंगे और चीनी भाषा ही बोली जाएगी.
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर हर रोज कई फोटो, वीडियो और मैसेज वायरल होते हैं. वायरल हो रहे इन फोटो, वीडियो और मैसेज के जरिए कई चौंकाने वाले दावे भी किए जाते हैं. ऐसा ही एक दावा सोशल मीडिया पर सनसनी बढ़ा रहा है.
दावे के मुताबिक पाकिस्तान ने चीनी भाषा मैंडरिन को अपनी आधिकारिक भाषा घोषित कर दिया है. दावे की माने तो अब पाकिस्तान में उर्दू या पंजाबी नहीं बल्कि चीनी भाषा में सारे काम किए जाएंगे और चीनी भाषा ही बोली जाएगी.
पाकिस्तानी चैनल के हवाले से वायरल हुई खबर पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल अब तक पर एक खबर चली. इस खबर में एंकर कह रही है, ''सीनट ने चीनी जुबान को सरकारी जुबान का दर्जा देने की बात को मंजूर कर ली है. कहा गया है कि पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ते तालुक्कात को देखते हुए ऐसा करना जरूरी है.''
एबीपी न्यूज़ ने की वायरल दावे की पड़ताल एबीपी न्यूज ने वायरल दावे की पड़ताल शुरू की. पाकिस्तान के चीनी भाषा अपनाने का दावा पाकिस्तान संसद के नाम पर किया जा रहा था. इसलिए पड़ताल के लिए हम सीधे पाकिस्तानी संसद की आधिकारिक वेबसाइट पर पहुंचे. वेबसाइट पर हमें 19 फरवरी को संसद की कार्यवाही की पूरी लिस्ट मिली. हमने ये जांचना शुरू किया कि क्या चीनी भाषा को पाकिस्तान की आधिकारिक भाषा बनाने को लेकर कोई ऐलान किया गया है.
संसद की कार्यवही वाली लिस्ट में 27वें नंबर पर लिखा था, ''चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर यानि सीपेक की वजह से चीन और पाकिस्तान के बीच मजबूत होते संबंध को देखते हुए चीन की आधिकारिक भाषा जो कि मैंडरीन है उसका कोर्स सीपेक प्रोजेक्ट से जुड़े पाकिस्तानी लोगों के लिए लॉन्च किया जाए ताकि चीनी और पाकिस्तानी लोगों को साथ में काम करने में भाषा दिक्कत ना बने.
पाकिस्तान की सीनेट में यह प्रस्ताव सीनेटर खालिदा परवीन ने रखा था. पाकिस्तान सीनेट ने इस प्रस्ताव को पास भी कर दिया है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि ये चीनी भाषा पाकिस्तान की आधिकारिक भाषा बन जाएगी.
इसका सीधा औऱ साफ मतलब बस इतना है कि सीपेक यानि वो प्रोजेक्ट जिसको लेकर चीन और पाकिस्तान के बीच समझौता हुआ था उस प्रोजेक्ट से जुड़े लोग चीनी भाषा सीखेंगे ताकि काम आसानी से हो सके.
क्या है सीपेक प्रोजेक्ट? CPEC वो प्रोजेक्ट है जिसको लेकर चीन ने पाकिस्तान को कई सपने दिखाएं हैं, जैसे कि CPEC प्रोजेक्ट में पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से लेकर चीन तक एक कॉरिडोर बनाया जाएगा. इससे पाकिस्तान में 7 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और पाकिस्तान की जीडीपी ढाई फीसदी तक बढ़ सकती है. इसलिए चीनी भाषा को पाकिस्तान की सरकारी भाषा बनाने का दावा झूठा साबित हुआ है.