नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर हर रोज कई फोटो, वीडियो और मैसेज वायरल होते हैं. वायरल हो रहे इन फोटो, वीडियो और मैसेज के जरिए कई चौंकाने वाले दावे भी किए जाते हैं. ऐसी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इसके साथ भी चौंकाने वाला दावा किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर किसानों की कर्ज माफी वाला एक प्रमाण पत्र घूम रहा है जिसमें किसान को बैंक की तरफ से सिर्फ और सिर्फ 10 रुपए दिए जाने का दावा है.
क्या लिखा है वायरल हो रहे प्रमाणपत्र में ?
प्रमाणपत्र में सबसे ऊपर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ लिखा है हर कदम किसानों के साथ लेकिन नीचे आते-आते पूरी कहानी बदल जाती है.
किसान के नाम पते के नीचे जहां से चिट्ठी शुरू होती है वहां लिखा है, ''प्रिय किसान भाई, उत्तर प्रदेश किसान सरकार द्वारा लघु एंव सीमांत किसानों के फसली ऋण मोचन के संबंध में लिए गए निर्णय के क्रम में ये प्रमाणित किया जाता है कि योजना के अंतर्गत 10 रुपए 37 पैसे की राशि आपके केसीसी खाता में क्रेडिट कर दी गई है.'' चिट्ठी के मुताबिक ये पैसे इलाहाबाद बैंक की तरफ से दिए गए हैं.
एबीपी न्यूज़ ने की वायरल तस्वीर की पड़ताल ?
वायरल तस्वीर का सच जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने पड़ताल शुरू की. चिट्ठी में जिस किसान का नाम और पता मौजूद था. सच की तलाश में एबीपी न्यूज़ सीधे यूपी के हमीरपुर पहुंचा.
हमीरपुर में हमें सुराग के तौर पर कुछ तस्वीरें मिलीं. ये तस्वीरें हमीरपुर में फसल ऋण योजना के तहत किसानों को कर्ज माफी प्रमाण पत्र बांटने के कार्यक्रम की हैं. इस कार्यक्रम में हमीरपुर जिले के प्रभारी मंत्री मनोहर लाल ने अपने हाथों से किसानों को कर्ज माफी के प्रमाण पत्र बांटे थे.
इसी कार्यक्रम की एक तस्वीर में हमें शांति देवी मिलीं. वहीं शांति देवी जिनके नाम से 10 रुपए की कर्ज माफी वाला प्रमाण पत्र वायरल हो रहा है. शांति देवी ने फसल बोने के नाम पर बैंक से एक लाख रुपए का कर्ज लिया था. लेकिन इनको जो प्रमाण पत्र दिया गया है उसके मुताबिक 10 रुपए 36 पैसे की कर्ज माफी हुई है. इस कार्यक्रम में शांति देवी अकेली नहीं थी उनके जैसे कई किसान मिले.
शांति देवी की तरह ही यूनुस खान ने भी बीज और खाद के लिए 60 हजार रुपए कर्ज लिया था लेकिन महज 38 रुपए की कर्जमाफी का प्रमाण पत्र सौंपा गया है. कर्ज माफी के नाम पर किसानों को 10 रुपए और 38 रुपए के प्रमाणपत्र क्यों बांटे जा रहे हैं ये सवाल हमने सीधे प्रभारी मंत्री से पूछा तो उन्होंने इसे मिस प्रिंट का मामला बताते हुए रफा-दफा कर दिया.
हमारी पड़ताल में योगीराज में कर्जमाफी के नाम पर किसानों से मजाक का दावा करने वाला ये प्रमाणपत्र सच साबित हुआ है.