नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर हर रोज कई फोटो, वीडियो और मैसेज वायरल होते हैं. वायरल हो रहे इन फोटो, वीडियो और मैसेज के जरिए कई चौंकाने वाले दावे भी किए जाते हैं. ऐसा ही एक दावा चिट्ठी की शक्ल में सोशल मीडिया पर सनसनी मचा रहा है. वायरल हो रही है चिट्ठी के मुताबिक बड़े खर्चे तो छोड़ दीजिए उत्तराखंड सरकार ने सिर्फ 10 महीनों में चाय-पानी पर 68 लाख रूपए खर्च कर दिए.
चिट्ठी में लिखा क्या है?
ये चिट्ठी हेमंत सिंह गौनिया के नाम पर है जिनका परिचय इस चिट्ठी से आरटीआई एक्टिविस्ट के तौर पर मिल रहा है जो उत्तराखंड के नैनीताल के रहने वाले हैं. चिट्ठी की शुरूआती कुछ लाइनों को पढ़ने के बाद ये साफ हो जाता है कि ये चिट्ठी सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में लिखी गई है.
वायरल चिट्ठी के मुताबिक आरटीआई के तहत सवाल किया गया था- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने जब से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है तब से आज तक चाय-पानी में कितना सरकारी धन खर्च हुआ, सूचना उपलब्ध कराएं.
इस सवाल के जवाब में उत्तराखंड सचिवालय प्रशासन ने जवाब देते हुए बताया कि उत्तराखंड के वर्तमान माननीय मुख्यमंत्री जो की त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं, उन्होंने 18 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उस दिन से लेकर चिट्ठी का जवाब देने वाले दिन तक यानि 18 मार्च 2017 से लेकर 22 जनवरी 2018 के बीच जो कि कुछ 10 महीने का समय है. उस बीच उत्तराखंड सरकार के चाय तथा पानी में कुल 68 लाख 59 हजार 865 रूपए (68,59,865 रू.) का सरकारी धन व्यय हुआ है.
क्या है दावे का सच?
हमने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से संपर्क किया और पूछा कि सोशल मीडिया पर उत्तराखंड सरकार के 68 लाख रूपए के चाय-पानी करने का जो दावा किया जा रहा है उसमें कितनी सच्चाई है?
मुख्यमंत्री ने कहा, ''अतिथि देवो भव, अगर कार्यालय में कोई भी आता है तो उसको चाय पिलाना मैं अपना धर्म समझता हूं. उसमें अगर 68 लाख खर्च आता है या ज्यादा आता है उसकी परवाह नहीं करनी चाहिए. ये हमारी परंपरा है, संस्कृति का हिस्सा है कि कोई अपने पास आए तो चाय जरूर पिलाना चाहिए. लेकिन जैसा आप लोग सवाल कर रहे हैं आपको पिछली सरकार का भी खर्च देखना चाहिए..इसको हमने नियंत्रित किया है.''
क्या ये सिर्फ मुख्यमंत्री जी के चाय-पानी का खर्च है?
उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत ने बताया, ''ये जो व्यय है 68 लाख का ये पूरे सचिवालय प्रशासन के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मदों पर जो खर्च किया जाता है. इसलिए सिर्फ ये कहना कि मुख्यमंत्री जी ने इतना खर्च किया है तो ये सही नहीं है. सम्पूर्ण सचिवालय प्रशासन के माध्यम से जो भी व्यय होता है उसमें सचिवालय के खर्च होते हैं, मंत्री परिषद के खर्चे भी हैं, ये सब खर्चे इसके अंदर आते हैं.''
सरकार की कहानी पर विपक्ष का क्या कहना है?
सरकार के दावे पर कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसोन ने कहा, ''अगर लोगों की उत्तराखंड सचिवालय में सही तरीके से आवाजाही हो रही है तब को 68 लाख ठीक है लेकिन जहां तक हमें पता है मुख्यमंत्री जी ने अपने आवास पर तो लोगों से मिलना बंद कर दिया है.
गरिमा दसोन ने कहा, ''उनके कार्यालय में मुश्किल से दिन भर में 10 लोग भी नहीं होते ऐसे में मुझे नहीं लगता है 10 महीने में इतने लोग आए होंगे. बार-बार खबर आती है कि वो बहुत कम लोगों से मिलते हैं, बात करते हैं ऐसे में लगता है कहीं ना कहीं आंकड़ो की गड़बड़ी है.''
हमारी पड़ताल में उत्तराखंड सरकार के चाय पानी पर 68 लाख के बिल का दावा सच साबित हुआ है.
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