नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर हर रोज कई फोटो, वीडियो और मैसेज वायरल होते हैं. वायरल हो रहे इन फोटो, वीडियो और मैसेज के जरिए कई चौंकाने वाले दावे भी किए जाते हैं. ऐसा ही दावा सोशल मीडिया पर सनसनी मचा रहा है. इस दावे की हकीकत जानना इस लिए भी जरूरी है क्योंकि यह आपकी रसोई से जुड़ा है.


क्या दावा कर रहा है सोशल मीडिया?
गैस सिलेंडर को लेकर सोशल मीडिया पर एक बहुत बड़ा दावा किया जा रहा है. दावा है कि गैस सिलेंडर की सब्सिडी के तौर पर जो पैसा आपके अकाउंट में आता है वो पैसा आप पहले ही सरकार को दे चुके होते हैं.


क्या लिखा है वायरल मैसेज में?
एक सिलेंडर की कीमत 720 रुपए
इंडियन ऑयल से बैंक में वापस जमा - 150 रूपए
यानि सिलेंडर की कीमत पड़ी 720- 150= 570 रूपए..


इसके पहले हमें सिलेंडर मिलता था 418 रूपये में अब 570 रूपए में मिल रहा है. मतलब कुल 152 रूपए का नुकसान हो रहा है.


मैसेज में लिखा है कि अब पता ये लगाना है की मेरे द्वारा जमा पैसा ही मुझे वापस मिला. तो फिर सब्सिडी का पैसा कहाँ गया, बल्कि पहले से ज्यादा पैसे मुझे देने पड़े.


ये कौन सा गणित है...? पूरा देश सोच रहा है कि उसे सब्सिडी का पैसा मिल रहा है, पर जनाब ये तो हमारा पैसा ही हमें मिल रहा है.


क्या है वायरल हो रहे इस मैसेज की हकीकत?
एबीपी न्यूज़ ने वायरल हो रहे दावे की पड़ातल की. सबसे पहले हम इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड की आधिकारिक वेबसाइट पर पहुंचे. यहां पता चला कि खाड़ी देशों से एक सिलेंडर में भरने के लिए जो गैस आती है उसकी लागत करीब 530 रुपए 45 पैसे पड़ती है. इस गैस पर सरकार 4.85 रूपए का इंपोर्ट चार्ज लगाती है. यानि एक सिलेंडर में भरी जाने वाली गैस को देश तक पहुंचाने में हर सिलेंडर पर 5 रुपए जुड़ता है. जिससे गैस की कीमत 535 रुपए 29 पैसे हो जाती है.


आपके पास पहुंचने तक इसमें और कई खर्च जुड़ते हैं. जैसे खाड़ी देश से खरीद कर लाई गई इस गैस के स्टोरेज में जो पैसा खर्च होता है उसका 9 रुपए 82 पैसा हर सिलेंडर के साथ जोड़ा जाता है. इसके बाद गैस को सिलेंडर में डालने का यानि बॉटलिंग चार्ज 20 रुपए 58 पैसे होते हैं.


जिस सिलेंडर में गैस भरी जाती है उस एक सिलेंडर की कीमत 18 रुपए 11 पैसे होती है. गैस सिलेंडर में भरने के बाद इसे देश के अलग-अलग कोनों में गैस एजेंसियों तक पहुंचाने में प्रति सिलेंडर 30.56 रूपए का खर्च आता है. यानि 535 रूपए का गैस, सिलेंडर में भरने के बाद और गैस एजेंसियों तक पहुंचने भर में सारे खर्चे जोड़कर 614 रुपए 56 पैसे का हो जाता है.


गैस सिलेंडर के रखरखाव का खर्च 2 रुपए 65 पैसे होता है. इसके बाद सिलेंडर को गैस एजेंसी से घर-घर पहुंचाने का जो डिलीवरी चार्ज लगता है वो कुछ 10 रूपए होता है. इसके उपर इसमें अनकंपनसेटेड कॉस्ट भी जोड़ी जाती है. यानि वो नुकसान जिसका मुआवजा नहीं मिलता ये करीब एक सिलेंडर के लिए 25 रुपए होता है. यानि कुल मिलाकर बाजार में पुहंचने तक एक गैस सिलेंडर की कीमत 651 रुपए 92 पैसे हो जाती है. रूपए हो जाती है.


गैस सिलेंडर पर भी 5 फीसदी जीसएटी लगता है. ऐसे में 5 फीसदी के हिसाब से 652 रूपए के गैस सिलेंडर पर 35 रूपए का जीएसटी लगता है और साथ ही गैस डिस्ट्रीब्यूटर इन सब के ऊपर अपना कमीशन रखता है करीब 50 रूपए का.


बाजार में पहुंचने के बाद गैस सिलेंडर पर जीएसटी और डिस्ट्रीब्यूटर का कमीशन लगाने के बाद ये 736 रुपए 23 पैसे का हो गया और आपको इतने ही रूपए चुकाने पड़ते हैं. 736 रूपए जो आपने गैस सिलेंडर के लिए दिए वो सीधे सरकार को नहीं गए बल्कि गैस मंगवाने से लेकर आप तक पहुंचने तक का जो सारा खर्चा आता है वो पैसे इसमें जुड़े हुए हैं.


क्या है सब्सिडी का खेल?
गैस सिलेंडर की तो कीमत 736 रूपए है लेकिन अब इसमें से सरकार आपको डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर फॉर एलपीजी यानि डीबीटीएल स्कीम के तहत 240 रुपए 37 पैसे सब्सिडी के तौर पर अकाउंट में ट्रांसफर करती है.


इस हिसाब से देखा जाए तो गैस सिलेंडर 736 रूपए का हुआ. 240 रूपए आपको सरकार ने सब्सिडी यानी छूट दे दी. अब कीमत में से सब्सिडी को घटा दें तो आपने गैस सिलेंडर के लिए 495.63 रूपए चुकाए. यानि आपका नुकसान नहीं बल्कि 240 रूपए का फायदा हुआ. हमारी पड़ताल में सिलेंडर पर सरकार की झूठी छूट का दावा करने वाला वायरल मैसेज झूठा साबित हुआ है.