नई दिल्ली: गुजरात चुनाव के बीच चर्चा है कि नोटबंदी के बाद मोदी सरकार अब चेकबंदी करने जा रही है. इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर भी कई तरह के दावे किए जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार चेकबंदी करने जा रही है.


कहां से हुई दावे की शुरुआत?
इस दावे के पीछ हैं फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल. प्रदीप खंडेलवाल ने ही सबसे पहले कहा था कि सरकार डेबिट और क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है और इसे लोकप्रिय बनाने के लिए वो चेकबुक की सुविधा खत्म कर सकती है.


क्या है दावे का सच?
एबीपी न्यूज़ ने दावे की पड़ताल के लिए बैंकिंग के बड़े जानकार नेशनल ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के अश्वनी राणा, पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स के चीफ इकोनॉमिस्ट डॉक्टर एसपी शर्मा और चार्टर्ड अकाउंटेंट गोपाल कुमार केडिया से बात की.


चेकबंदी के दावे पर बैंकिंग एक्सपर्ट ने क्या कहा ?
नेशनल ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के अश्वनी राणा ने कहा, ''आजकल बहुत सारे विकल्प आ गए हैं. NEFT, RTGS के जरिए और इंटरनेट बैंकिंग के जरिए लेन-देन होता है. लेकिन कई लोग हैं जो एटीएम इस्तेमाल नहीं करते तो उन्हे बैंक जाकर चेक से पैसे निकालना ही आसान लगता है. ऐसे में आज के समय में चेक को बंद करना संभव नहीं है.आने वाले समय में धीरे-धीरे बैंक चेक को बंद कर सकते हैं.लेकिन ना ही अचानक से चेक बंद करने का बैंकों का प्लान है.ना ही ऐसे अचानक से चेक बंद कर देना संभव है.''


पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स के चीफ इकोनॉमिस्ट डॉक्टर एसपी शर्मा ने कहा, ''हर साल करीब 1500 मिलियन से ज्यादा चेक अदान-प्रदान होते हैं.ये काफी बड़ी संख्या है इसलिए इसको खत्म करना असंभव है. अर्थव्यस्वथा में चेक कोई बाधा नहीं पैदा कर रहा बल्कि चेक से लेन-देन में पारदर्शिता रहती है, चेक लेने और देने वाले की पहचान रहती है. चेक से लेन-देने में कुछ भी संदेह वाला नहीं है. चेक बंद करने का सरकार का ऐसा कोई प्लान नहीं है.''


चार्टर्ड अकाउंटेंट गोपाल कुमार केडिया ने बताया, ''आज कल ऑनलाइन लेन-देन होता है लेकिन इसके लिए इंटरनेट कनेक्शन होना जरूरी होता है. भारत में अभी भी कई सारे राज्य ऐसे हैं जैसे अंदमान एंड निकोबर जहां 2 जी भी ठीक से काम नहीं करता. चेक को बंद करना संभव नहीं है. ना ही ऐसा कोई कारण है जिससे चेक को बंद करना पड़े.''


सोशल मीडिया के दावे पर सरकार का क्या कहना है?
वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में साफ-साफ लिखा है कि ऐसा कहा जा रहा है कि डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार चेकबुक की सुविधा को हटा सकती है लेकिन चेकबुक बंद करने वाली बात को हम पूरी तरह से नकारते हैं.सरकार ने चेकबंदी की कोई योजना नहीं बनाई है.


हमारी पड़ताल में मोदी सरकार का नोटबंदी के बाद चेकबंदी का दावा झूठा साबित हुआ है.