नई दिल्ली: सोशल मीडिया के भ्रमजाल से लोगों को बचाने के लिए टीवी की दुनिया में एबीपी न्यूज़ ने सबसे पहले 'वायरल सच' की मुहिम शुरू की. एबीपी न्यूज़ ने सोशल मीडिया पर फैल रहे झूठ से देश को बचाया और दर्शकों को जागरुक किया है.


इस मुहिम के बावजूद कुछ लोग हमारी तहकीकात के हिस्से को छिपाकर देश को सिर्फ वो दिखाते हैं जो सोशल मीडिया कहता है. ऐसा एक बार फिर हुआ है, एबीपी न्यूज़ ने देश को एक ऐसे इंजेक्शन का सच दिखाया था जिसे सोशल मीडिया ने मुस्लिमों को नपुंसक बनाने वाला इंजेक्शन बताया था. सोशल मीडिया पर एक बार फिर यह मैसेज गलत मंशा से शेयर किया जा रहा है.


क्या दावा कर रहा है वायरल मैसेज?
एक वैक्सीन की तस्वीर के जरिए सोशल मीडिया पर ये अफवाह फैलाई गई कि ये जिसके शरीर में उतर जाए उसे नपुंसक बना देती है. तस्वीर के साथ एक मैसेज था जिसमें लिखा था, ''प्यारे भाईयों और बहनों, अस्सलामआलेकुम...भारत के सभी स्कूलों में बच्चों को इंजेक्शन देने का फैसला किया गया है. इसलिए भाईयों अपने बच्चों को इंजेक्शन मत लगने दीजिएगा इस पर आपत्ति दर्ज कीजिएगा. ये आरएसएस यानि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की योजना है. जब आपके बच्चे 40 के आसपास हो जाएंगे तो वो अपने बच्चे नहीं कर पाएंगे.''


मैसेज में आगे लिखा, ''केरल के एक टीचर ने बताया है कि ये इंजेक्शन सिर्फ मुस्लिम बच्चों को ही देना है. तो अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए ये इजेंक्शन उन्हें मत लगने दीजिए.''


एबीपी न्यूज़ ने पड़ताल कर सच बताया
एबीपी न्यूज ने वायरल मैसेज की पड़ताल की. हमने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कानव आनंद से संपर्क किया. डॉक्टर कानव आनंद ने बताया, "ये वैक्सीन एम आर वैक यानी मिज़ल रुबेल्ला वैक्सीन यानी मिज़ल और रुबेल्ला की बीमारी (खसरा और खसरा से सम्बंधित बीमारी) के लिए ये वैक्सीन दी जाती है. खसरा और रुबेल्ला के प्रोटेक्शन में इस वैक्सीन को दिया जाता है."


डॉक्टर कानव आनंद ने बताया, "स्मॉल पॉक्स से इसका कोई लेना देना नहीं है. क्योंकि स्मॉल पॉक्स अलग बीमारी है और ये अलग बीमारी है. ये वैक्सीन रूटीन में बच्चो को लगाई जाती है. ये वैक्सीन 9 महीने, 15 महीने की उम्र में बच्चो को लगाई जाती है जिससे की बच्चे में इस बीमारी के अगेन्स फाइटिंग केपेसिटी आसके.''


स्वास्थ्य मंत्रालय ने लॉन्च किया कैंपेन
दरअसल स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल यानि 5 फरवरी को एम आर वैक्सीन कैंपेन लॉन्च किया है. ये वैक्सीन 9 महीने से 15 साल तक के बच्चों को दी जाती है. दिसंबर 2018 तक एमआर वैक्सीन कैंपेन को पूरे देश में कवर करने का लक्ष्य रखा गया है. पूरे देश में करीब 41 करोड़ बच्चों को वैक्सीन देने की योजना है. ये दवा 40 साल से प्रयोग में है और पूरी तरह से सुरक्षित भी है.


मीजल्स यानि खसरा एक संक्रामक बीमारी है जो खांसने या छींकने से फैलती है. ये वायरस इतना खतरनाक है कि बच्चे की जान ले लेता है. सरकार इस बीमारी से आपके बच्चों को बचाने के लिए एक कैंपेन चला रही है ताकि आपके बच्चे सुरक्षित रह सकें. लेकिन सोशल मीडिया पर इसे सांप्रदायिक रंग चढ़ाकर पेश किया जा रहा है.


मैसेज का सच और आपसे एक अपील
एबीपी न्यूज की पड़ताल में मुसलमानों को नपुंसक बनाने वाले टीके का दावा पहले भी झूठा साबित हुआ था और अब भी ये सिर्फ एक झूठ है. एबीपी न्यूज आपसे अपील करता है कि ऐसे मैसेज और अफवाहों पर भरोसा ना करें ये आपको बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.