जानिए, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने पहले भाषण में क्या कुछ कहा
नई दिल्ली: देश को नया राष्ट्रपति मिल गया है. रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति के पद और संविधान के संरक्षण की शपथ ली. राष्ट्रपति बनने के बाद कोविंद ने देश की विविधता को देश की ताकत बताया और कहा कि समाज के आखिरी शख्स तक विकास पहुंचे.
अपने भाषण की शुरुआत में ही कोविंद ने अपनी गरीबी, संघर्षों और चुनौतियों का जिक्र किया. उन्होंने कहा, "मैं यूपी के एक छोटे से गांव से हूं. मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं. मेरी यात्रा लंबी रही है, लेकिन ये यात्रा सिर्फ मेरी नहीं रही है, बल्कि मेरे देश और समाज की यही गाधा है."
देश के संविधान के मूल मंत्र न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का जिक्र करते हुए कोविंद ने कहा कि वो इस मूलमंत्र का सदैव पालन करते रहेंगे. राष्ट्रपति बनने के साथ ही उन्होंने कहा, ''मैं देश इस महान राष्ट्र के 125 करोड़ नागरिकों को नमन करता हूं और उन्होंने मुझपर जो विश्वास जताया है उसपर खरा उतरने का वचन देता हूं. मैं पूरी विनम्रता के साथ इस पद को स्वीकार करता हूं.''
देश की विभिन्नता और विविधता को देश की ताकत बताते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा कि हम अलग जरूर है, लेकिन एकजुट हैं. उन्होंने कहा, विविधता ही हमारा आधार है जो हमें अद्वितीय बनाता है. इस देश में हमें राज्यों, क्षेत्रों, पंथों, भाषाओं, सस्कृतियों और जीवनशैलियों जैसी कई बातों का मिलन देखने को मिलता है. हम बहुत अलग हैं, लेकिन फिर भी एक हैं और एकजुट हैं." उन्होंने देश के निर्माण में देश की पुलिस, सेना और किसान राष्ट्र निर्माता बताया.
इसके साथ ही कोविंद ने गांधी और दीनदयाल उपाध्याय के सपनों का भारत बनना की बात कही. उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में भारत का महत्व है. सारी दुनिया अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के लिए भारत की तरफ देख रहा है. उन्होंने कहा, ''हमें भरोसा है कि ये सदी भारत की सदी होगी. भारत की उपलब्धियां ही इस सदी की दिशा और स्वरूप होगी. हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो आर्थिक नेतृत्व देने के साथ नैतिक आदर्श भी प्रस्तुत करे. हमारे लिए ये दोनों मापदंड अलग नहीं हो सकते, दोनों जुड़े हैं और हमेशा जुड़े ही रहेंगे.''