वित्त मंत्री ने कहा- पूरा रेल नेटवर्क ब्रॉड गेज बनाया जाएगा, जानिए क्या है ब्रॉड गेज और इसके फायदे
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल पर इस साल 1 लाख 48 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया है. बजट पेश करते हुए जेटली ने कहा कि पटरी, गेज बदलने जैसे काम पर पैसे खर्च किए जाएंगे.
नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल पर इस साल 1 लाख 48 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया है. बजट पेश करते हुए जेटली ने कहा कि पटरी, गेज बदलने जैसे काम पर पैसे खर्च किए जाएंगे. पूरा रेल नेटवर्क ब्रॉड गेज बनाया जाएगा. सुरक्षा वॉर्निग सिस्टम पर जोर होगा. आइए आपको बताते हैं कि ब्रॉड गेज का क्या मतलब है और इससे भारतीय रेल पर क्या फर्क पड़ेगा.
भारत में 1.676 मी. के गेज को ब्रॉड गेज कहा जाता है. ब्रॉड गेज का मतलब है कि दो पटरियों के बीच की दूरी 1.676 मीटर होगी. इससे बेहतर स्थिरता आती है. ब्रॉड गेज को बड़ी लाइन भी कहते हैं. ब्रॉड गेज यानि की बड़ी लाइन पर लंबी दूरी की गाड़िया चलती है. बड़ी लाइन पर चलने वाली गाड़ियां ज्यादा भार सहन कर सकती हैं. इस तरह ब्रॉड गेज करने से भारी सामान ढोने में आसानी होगी. ब्रॉड गेज पर ट्रेन तेज रफ्तार से चल सकती है. इससे यात्रियों को एक जगह से दूसरी जहग पर कम समय में पहुंचने में आसानी होगी. हालांकि ब्रॉड गेज बनाने में रेलवे को ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा क्योकि बड़ी लाइन की निर्माण राशि अन्य लाइनों के मुकाबले काफी ज्यादा होती है.
बड़ी लाइन के अलावा मीटर लाइन होती है. मीटर लाइन का मतलब है कि रेल की दो पटरियों के बीच की दूरी एक मीटर(1.000 मी.) की होगी. इसके अलावा एक नैरो गेज यानि कि छोटी लाइन होती है. छोटी लाइन का मतलब है कि दो पटरियों के बीच की दूरी 0.762 मीटर होगी. शहरों के बीच या फिर कम दूरी के लिए चलने वाली ट्रेनें छोटी लाइन पर चलती हैं. इन लाइनों पर चलने वाली ट्रेने कम रफ्तार से चलती हैं और ये ज्यादा भार सहन नहीं कर सकती हैं.
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि 600 स्टेशनों को आधुनिक बनाया जाएगा. मुंबई में लोकल रेल नेटवर्क के लिए खास योजना के तहत मुंबई लोकल का दायरा बढ़ाया जाएगा. मुंबई में 90 किलोमीटर पटरी का विस्तार होगा. माल ढुलाई के लिए 12 वैगन बनाएंगे. स्टेशनों पर वाई-फाई, सीसीटीवी, एस्केलेटर लगाए जाएंगे.