पढ़ें: क्या होता है केबिन प्रेशर, इसकी वजह से जेट एयरवेज के 30 यात्रियों के कान-नाक से निकला खून
क्या होता है केबिन प्रशर- जब कोई जहाज अच्छी-खासी ऊंचाई पर पहुंचता है तब उसके भीतर का दबाव कम हो जाता है. दबाव कम होने की वजह से हर सांस में आम स्थिति की तुलना में कम ऑक्सीजन लगती है. इसी के लिए केबिन के भीतर प्रेशर को बढ़ाया जाता है.
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मुंबई: मुंबई से आई एक अश्चर्यजनक ख़बर में पता चला कि जेट एयरवेज के केबिन क्रू की लापरवाही ने 30 लोगों के नाक-कान से खून निकाल दिया था. केबिन क्रू के सदस्य प्लेन का केबिन प्रेशर ऑन करना भूल गए थे जिससे प्लेन से सफर कर रहे यात्रियों का ये हाल हुआ.
क्या होता है केबिन प्रशर जब कोई जहाज अच्छी-खासी ऊंचाई पर पहुंचता है तब उसके भीतर का दबाव कम हो जाता है. दबाव कम होने की वजह से हर सांस में आम स्थिति की तुलना में कम ऑक्सीजन लगती है. इसी के लिए केबिन के भीतर प्रेशर को बढ़ाया जाता है.
इस प्रेशर को बढ़ाने के लिए प्लेन इंजन का इस्तेमाल किया जाता है जिसके सहारे केबिन के प्रेशर को उस स्तर पर लाया जाता है जिससे ये सामान्य हो जाए. ये प्रक्रिया तब शुरू होती है जब पायलट ब्लीड स्विच ऑन करता है. टेकऑफ के बाद इस स्विच को ऑन करके केबिन में प्रेशर भरा जाता है.
क्या है पूरा मामला मुंबई से जयपुर जा रही जेट एयरवेज की फ्लाइट संख्या 9W 697 को आपात स्थिति में वापस मुंबई में उतारान पड़ा. मामले में केबिन क्रू की बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई. केबिन क्रू की भूल की वजह से फ्लाइट में मौजूद 166 यात्रियों की जान आफत में पड़ गई. दरअसल टेकऑफ के दौरान केबिन क्रू फ्लाइट के अंदर का प्रेशर मेंटेन रखने वाला स्विच दबाना भूल गया. इस वजह से फ्लाइट के अंदर दबाव अनियंत्रित हो गया और करीब 30 यात्रियों के नाक और कान से खून बहने लगा. फ्लाइट के अंदर मौजूद सभी ऑक्सीजन मास्क भी नीचे आ गए.
जेट एयरवेज की फ्लाइट ने कल सुबह तय समय से तीन मिनट पहले 5 बजकर 52 मिनट पर उड़ान भरी. बीच रास्ते पर 6 बजकर 12 मिनट पर यूटर्न लिया और 7 बजकर 24 मिनट पर वापस इमरजेंसी लैंडिग की. एयरपोर्ट पर पहले से ही एंबुलेंस मौजूद थी, बीमार यात्रियों को फौरन इलाज के लिए ले जाया गया.
मामले की जांच के आदेश, केबिन क्रू ऑफ ड्यूटी इस मामले में डीजीसीए ने बताया कि एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने जांच शुरू कर दी है. जेट एयरवेज ने पूरे मामले पर बयान जारी कर खेद जताया है. जेट एयरवेज की ओर से बताया गया जांच पूरी होने तक पूरे क्रू को ऑफ ड्यूटी कर दिया गया है.
जा सकती थी सभी यात्रियों की जान एविएशन एक्सपर्ट पंकज गुप्ता ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि यह बहुत बड़ी गलती है. फ्लाइट अगर कुछ देर और हवा में रहती तो बहुत बड़ा नुकसान हो सकता था, यहां तक कि सभी यात्रियों की जान भी जा सकती थी. उन्होंने कहा कि मनुष्य का शरीर समुद्र स्तर पर रहने के लिए बना है, जैसे-जैसे कोई भी आदमी जमीन से ऊपर जाता है, दबाव कम होता जाता है. इसी स्थिति से निपटने के लिए फ्लाइट में प्रेशराइजेशन की व्यवस्था की जाती है.
यात्री ने साझा किया अपना डरावना अनुभव फ्लाइट में सवार एक यात्री ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि फ्लाइट के उड़ान भरने के थोड़ी देर बाद ही पहले एसी सिस्टम लो हो गया. इसके बाद प्रेशर बढ़ने लगा, जब कुछ यात्रियों ने एयरहोस्टेस को बुलाने के लिए बटन भी दबाया तो वो खुद ऑक्सीजन मास्क लगाकर बैठे थे, इसलिए नहीं आए. इसके बाद विमान में यात्रियों में डर बढ़ने लगा. थोड़ी देर बाद फ्लाइट की लैंडिंग कराई गई और बीमार यात्रियों को एबुलेंस में इलाज के लिए ले जाया गया.
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