नई दिल्ली: जबरदस्त ड्रामाई बहस के बाद लोकसभा ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक 2019 को पास कर दिया. खास बात ये रही कि सदन में वोटिंग के दौरान जैसे ही स्पीकर ने वॉइस वोटिंग के लिए आवाज लगाई तो गृह मंत्री अमित शाह ने डिवीज़न ऑफ वोट की मांग की. गृह मंत्री की इस मांग पर अमल करते हुए वोटिंग कराई गई. इस बिल के पक्ष में 278 वोट मिले, जबकि विरोध में महज़ 6 वोट पड़े.


दरअसल, डिवीज़न ऑफ वोट की मांग करते हुए अमित शाह ने लोकसभा में ये बात कही थी कि देश को यह जानना चाहिए कि आखिर कौन आतंकवाद के साथ है और कौन आतंकवाद के खिलाफ है. दिलचस्प बात ये है कि विधयक पर चर्चा के दौरान अमित शाह और एमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी के बीच जमकर नोकझोंक हुई.


अब सवाल है कि आखिर नए बिल पुराने से कितना अलग है और कैसे नए बिल के पास हो जाने के बाद आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ना आसान हो जाएगी. उससे पहले जान लें कि आखिर एनआईए क्या है?


राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण या नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संघीय जांच एजेंसी है. एजेंसी राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से निपटने के लिए सशक्त है.


आपको बता दें कि मुंबई हमलों के बाद साल 2009 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी का गठन किया गया था. नवंबर 2008 में हुए सिलसिलेवार आतंकी हमले में 166 से ज्यादा लोग मारे गए थे.


बिल में क्या कुछ नया है?


पीआरएस लेगिसलेटिव की रिसर्च के मुताबिक एनआईए-एक्ट 2008 में मुख्य तौर पर तीन बड़े बदलाव किए गए हैं.


पहला बदलाव: किस तरह के अपराध एनआईए की जांच के दायरे में आ सकते हैं. मौजूदा कानून के मुताबिक एनआईए के अंतर्गत वही अपराध आ सकते हैं जो परमाणु ऊर्जा अधिनियम- 1962 और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम-1967 में दर्ज हैं. लेकिन इस बदलाव के बाद मानव तस्करी, जाली मुद्रा, प्रतिबंधित हथियारों का निर्माण या बिक्री, साइबर आतंकवाद और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम- 1908 के तहत जो अपराध आते हैं, एनआईए उसकी जांच कर सकेगी.


दूसरा बदलाव: एनआईए के अधिकार क्षेत्र में बदलाव किए गए हैं. एनआईए को अब पुलिस जैसे अधिकार होंगे. यानि किसी अपराध की जांच के मामले में जो अधिकार पुलिस अधिकारी को होते हैं वही अधिकार अब एनआईए के पास होंगे और ये अधिकार उसे पूरे देश में होंगे. इस बदलाव के साथ एनआईए को ये अधिकार मिल जाएगा कि वो देश से बाहर हुए अपराध की भी जांच कर सकेगी. एनआईए का अधिकार क्षेत्र अब अंतरराष्ट्रीय संधियों और अन्य देशों के घरेलू कानून के साथ तय होंगे.


तीसरा बदलाव: ये बदलाव स्पेशल ट्रायल कोर्ट के गठन को लेकर है. मौजूदा कानून में केंद्र सरकार एनआईए के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन करती है, लेकिन बदलाव के बाद वो सीधे तौर पर सेशंस कोर्ट को ही स्पेशल एनआईए कोर्ट में बदल देगी.


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