जानिए क्या है 'निशान साहिब' जिसे किसान प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर फहराया
72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में कई जगहों पर प्रदर्शनकारी किसानों ने उग्र आंदोलन किया. वहीं, प्रदर्शनकारी किसानों ने लाल किला पहुंचकर अपना धार्मिक झंडा "निशान साहिब' फहराया. इस घटना को लेकर देशभर में आक्रोश व्याप्त है. आइए, जानते हैं क्या है 'निशान साहिब' और क्या रहा है इसका इतिहास.
72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में कई जगहों पर किसानों द्वारा उग्र प्रदर्शन किया गया. यहां तक कि प्रदर्शनकारी किसानों ने विरोध करते हुए लाल किले पर अपना धार्मिक झंडा 'निशान साहिब' लगा दिया. इसको लेकर पूरे देश में आक्रोश व्याप्त है.
दरअसल, निशान साहिब सिख धर्म के लोगों का एक पवित्र झंडा है, जिसका आकर त्रिकोणीय है. यह झंडा रेशम या कपास के कपड़े का बना होता है. इसके सिरे पर एक रेशम की लटकन होती है. इस झंडे के केंद्र में तलवार का चिह्न भी होता है. जिस झंडे के डंडे पर इसे फहराया जाता है, उसमें भी ऊपर की तरफ दोधारी तलवार होता है.
जानिए क्या है इस इस झंडे का महत्व
निशान साहिब को खालसा पंथ का चिन्ह माना जाता है. इसे गुरुद्वारे के ऊपर लगाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि निशान साहिब खालसा पंथ की मौजूदगी का प्रतीक है. बता दें कि सिख समुदाय के लोग निशान साहिब को बेहद पवित्र मानते हैं.
जानिए निशान साहब का इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि निशान साहिब का रंग पहले लाल होता था. आगे चलकर इसका रंग लाल की जगह सफेद कर दिया गया. हालांकि, कुछ समय बाद इसपर केसरी रंग चढ़ा दिया गया. बता दें कि कई गुरुद्वारों में निशान साहिब का रंग नीला होता है.
प्रदर्शनकारी किसानों ने पुलिस पर किया हमला
26 जनवरी को सेंट्रल दिल्ली के आईटीओ में प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले छोड़े गए. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड को तोड़कर पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया और पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ की. हालांकि, किसानों के उग्र प्रदर्शन से किसान नेता ने पल्ला झाड़ लिया है. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें हिंसक घटना के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है. राकेश टिकैत ने कहा कि रैली शांतिपूर्ण हो रही है. मुझे हिंसा के बारे में जानकारी नहीं है.
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