प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में बुधवार को विस्तार और फेरबदल किया गया. बुधवार को 43 नेताओं ने मंत्रिपद की शपथ ली. इसमें 15 नेताओं ने कैबिनेट और 28 ने राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर कैबिनेट और राज्यमंत्री में अंतर क्या होता है.


दरअसल, देश के केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीन तरह के मंत्री होते हैं. इनमें कैबिनेट मंत्री,  राज्य मंत्री और राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार शामिल होते हैं. इनमें पावर के हिसाब से कैबिनेट मंत्री सबसे ऊपर आते हैं. कैबिनेट मंत्री के बाद पर राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दूसरे नंबर आते हैं और राज्यमंत्री  तीसरे नंबर पर होते हैं 


कैबिनेट मंत्री 
कैबिनेट मंत्री अपने मंत्रालय प्रमुख होते हैं. इन्हें जिस  मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जाती है, उसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होते हैं. इनको एक से ज्यादा मंत्रालयों का जिम्मा भी दिया जा सकता है. सरकार के फैसलो में इनकी भागीदारी होती है और आमतौर हर हफ्ते कैबिनेट होने वाली कैबिनेट की बैठक में ये शामिल होते हैं. सरकार कैबिनेट की बैठक में ही अपने फैसले जैसे अध्यादेश, नया कानून बनाना, कानून में  संसोधन करना आदि को तय करती है और कैबिनेट मंत्री उसका हिस्सा होते हैं.


राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. इनको जूनियर मिनिस्टर भी कहा जाता है. इनको आवंटित किए गए मंत्रालय और विभाग के प्रति  पूरी जवाबदेही इन्ही की होती है. ये आमतौर पर  कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते हैं. विशेष मौकों पर मंत्रालय के मुद्दों पर चर्चा के लिए कैबिनेट की बैठक में बुलाया जा सकता है.


राज्यमंत्री 
राज्यमंत्री कैबिनेट मंत्री के अंडर में काम करते हैं और उन्हें रिपोर्ट करते है. ये एक तरह से कैबिनेट मंत्री के सहायक मंत्री होते है. एक कैबिनेट मंत्री के अंडर एक से ज्यादा राज्यमंत्री भी हो सकते हैं. एक मंत्रालय में कई विभाग होते हैं जिनका बंटवारा इनको किया जाता है, जिससे ये कैबिनेट मंत्री की मंत्रालय चलाने में मदद कर सकें.
 



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