जानिए क्या है अयोध्या में चल रहा संतों का विवाद?
नृत्य गोपाल दास उस न्यास के अध्यक्ष हैं, जो न्यास 1990 से कार्यशाला में पत्थर गढ़ाई और राम मंदिर का मॉडल रखकर मंदिर निर्माण का दावा करती रही है.
अयोध्या: अयोध्या में संतों का विवाद आजकल चर्चा में है. ऐसे में हर कोई ये जानना चाहता है कि आखिर ये अलग-अलग जो बाबा और साधु संत हैं, वो कौन हैं, किसकी क्या भूमिका है, कौन किसका समर्थक और कौन किसका विरोधी है. साधुओं में विवाद की शुरुआत रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास के उस बयान से हुई, जिसमें उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश पर सरकार को नया ट्रस्ट बनाने की जरूरत नहीं है क्योंकि रामजन्मभूमि न्यास पहले से मौजूद है. नृत्य गोपाल दास उस न्यास के अध्यक्ष हैं, जो न्यास 1990 से कार्यशाला में पत्थर गढ़ाई और राम मंदिर का मॉडल रखकर मंदिर निर्माण का दावा करती रही है. इस न्यास को पूरी तरह से विश्व हिंदू परिषद का समर्थन है. इस न्यास के अध्यक्ष रामचंद्र परमहंस दास भी रह चुके हैं. हालांकि उनके शरीर त्यागने के बाद नृत्य गोपाल दास न्यास की अध्यक्षता कर रहे हैं. नृत्य गोपाल दास को अयोध्या के साधुओं के साथ साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी सम्मान हासिल है.
विवाद की दूसरी कड़ी हैं रामविलास वेदांती
वेदांती लंबे समय से राजनैतिक गतिविधियों से दूर हैं या यूं कहें कि उन्हें दूर कर दिया गया है. वेदांती बीजेपी सांसद रहे हैं और रामजन्मभूमि आंदोलन में बेहद सक्रिय रहे. हालांकि राजनैतिक कारणों से साधुओं का एक धड़ा उन्हें पसंद नहीं करता और वो भी कुछ लोगों का गाहे बगाहे विरोध दर्ज कराते रहे हैं.
कोर्ट के आदेश पर जो ट्रस्ट बनाया जाना है, वेदांती उस ट्रस्ट का अध्यक्ष बनने की ख्वाहिश रखते हैं. यही वजह है कि तपस्वी छावनी का हिस्सा रहे परमहंस दास से फोन पर बातचीत में उन्हें ये कहते सुना गया कि नाथ सम्प्रदाय यानी गोरखनाथ मंदिर से जुड़ा शख्स ट्रस्ट के अध्यक्ष नहीं बन सकता.
सिर्फ रामानुज ट्रस्ट के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए. यानी वेदांती योगी आदित्यनाथ के खिलाफ हैं. ऑडियो में वेदांती ने नृत्य गोपाल दास के खिलाफ भी अपशब्द कहे. ऐसे में वेदांती इस वक्त अयोध्या के साधुओं के निशाने पर हैं.
अयोध्या की तपस्वी छावनी से जुड़े परमहंस स्वयंभू जगतगुरु बने मीडिया में छाए रहते हैं. पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी तक का कभी विरोध तो कभी समर्थन करते परमहंस नजर आते हैं. परमहंस दास का नाम रामचंद्र परमहंस दास के नाम से मिलता है, जिसकी वजह से कई बार लोग उन्हें रामचंद्र परमहंस का उत्तराधिकारी मानते हैं.
हालांकि सच ये है कि परमहंस दास के गुरु सर्वेश्वर दास हैं. रामविलास वेदांती और परमहंस का ऑडियो क्लिप वायरल होने के बाद सर्वेश्वर दास ने परमहंस को तपस्वी छावनी से बर्खास्त कर दिया है. 2 दिन पहले ऑडियो की वजह से तपस्वी छावनी पर नृत्य गोपाल दास के समर्थकों ने हंगामा भी किया था. इसके बाद परमहंस अयोध्या छोड़ वाराणसी में बैठे हुए हैं.
अयोध्या में महंत धरम दास भी प्रमुख साधु हैं. धरम दास के गुरु अभयराम दास हुआ करते थे. 1949 में जब विवादित स्थल पर मूर्ति रखी गई तब बताया जाता है कि सिर्फ 3 लोग मौजूद थे. इसमें अभयराम दास पुजारी होने की वजह से मौके पर थे. हालांकि तब सरकार ने विवादित स्थल पर रिसीवर नियुक्त कर दिया और पुजारी का चयन रिसीवर के हाथों में आ गया.
अब अयोध्या मामले में धरम दास ने सालों पक्षकार बनकर मुकदमे की पैरवी की. धरम दास निर्मोही अनी अखाड़े के श्री महंत हैं और इनकी मांग है कि उन्हें राम मंदिर बनने के बाद पूजा करने का अधिकार दिया जाए. धरम दास खुलकर नृत्य गोपाल दास पर कुछ नहीं कहना चाहते लेकिन परमहंस के वजूद पर खुलकर सवाल उठाते हैं.
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे रामचंद्र परमहंस दास के 3 शिष्य सुरेश दास वर्तमान में दिगंबर अखाड़े के प्रमुख हैं. लाइमलाइट से दूर सुरेश दास नृत्य गोपाल दास का समर्थन करते हैं लेकिन उनका पूरा समर्थन योगी आदित्यनाथ को है. सुरेश दास का कहना है कि कोर्ट ने ट्रस्ट बनाने की जिम्मेदारी सरकार को दी है, ऐसे में यह सरकार पर छोड़ देना चाहिए कि ट्रस्ट कैसा होगा और कौन कौन उसका सदस्य होगा.
उन्होंने कहा कि जिस तरह योगी आदित्यनाथ के दादा गुरु दिग्विजयनाथ, उनके शिष्य महंत अवैद्यनाथ और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका को देखते हुए योगी को ट्रस्ट का हिस्सा बनाने की मांग करते हैं. सुरेश दास भी परमहंस के ऑडियो वाइरल करने की हरकत से नाराज हैं.
हनुमान गढ़ी मंदिर अयोध्या का प्रमुख मंदिर है. यहां के पुजारी राजू दास भी मीडिया में छाए रहते हैं. हालांकि अयोध्या मामले में सीधे सीधे राजू दास की कली भूमिका नहीं है लेकिन बयानवीरों में राजू दास का नाम हमेशा आता रहता है. हर टीवी चैनल की डिबेट में राजू दास खुलकर अपना पक्ष रखते हैं.
वो भी योगी के समर्थक हैं. परमहंस और वेदांती की भूमिका पर भी राजू दास आपत्ति जताते हुए कहते हैं कि 2-3 साधुओं की वजह से पूरे साधु समुदाय को विवाद करने वाला बताया जाना ठीक नहीं है.
अयोध्या में संत समिति के अध्यक्ष कन्हैया दास भी अक्सर चर्चा में रहते हैं. यूं तो कन्हैया दास का भी प्रत्यक्ष तौर पर रामजन्मभूमि से कोई लेना देना नहीं है लेकिन कुछ विषयों पर संतों में एक राय बनाने को लेकर कन्हैया दास अक्सर बैठकें करते रहते हैं. वो भी टीवी चैनलों की डिबेट का एक प्रमुख हिस्सा हैं.
कन्हैया दास खुले तौर पर नृत्य गोपाल दास के समर्थक हैं और उनका मानना है कि 2-4 कथित संतों की वजह से पूरे संत समाज को कटघरे में खड़ा किया जाना गलत है. यही वजह है कि कन्हैया दास ने वेदांती और परमहंस के वाइरल ऑडियो कांड के बाद संतों की बैठक बुलाकर इस मामले में आगे एक राय बनाकर चलने पर मंथन किया.