जानें क्या है बीएमसी का ऑक्सीजन मैनेजमेंट मॉडल, सुप्रीम कोर्ट ने की है तारीफ
मुंबई की कुल आबादी 1.25 करोड़ है. मुंबई की अगर बात करे तो कम जगहा में ज्यादा लोग रहते है इन सब चुनौती के बावजूद मुंबई का पॉजीटिविटी रेट 9% पर आ गया है. जबकि राजधानी दिल्ली का पॉजिटिविटी रेट 26 फ़ीसदी के करीब है.
मुंबईः देश के सभी राज्य कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. देश में सबसे ज्यादा एक्टिव पेशेंट महाराष्ट्र में है लेकिन बावजूद इसके मुंबई महापालिका के ऑक्सीजन मैनेजमेंट की सुप्रीम कोर्ट ने तारीफ की है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या है मुंबई मॉडल जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और केंद्र सरकार से मुंबई से सीखने की बात कही है.
क्या है बीएमसी का ऑक्सीजन मैनेजमेंट मॉडल
- मुंबई इस वक्त कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. 4 अप्रैल को मुंबई में 1 दिन में कोरोना संक्रमितो की संख्या 11 हजार तक पहुंच गई थी. जबकि 5 मई को संक्रमितों का आंकड़ा 4 हजार से कम हो गया है.
बीते महीने भर में संख्या में अच्छी खासी गिरावट देखने को मिली है.
- ऑक्सीजन की जरूरत को देखते हुए ही बीएमसी ने 15 अस्पतालों में 13000 लीटर के ऑक्सीजन टैंक मई जून के महीने में ही तैयार कर लिए थे
- मुंबई में जिस वक्त पिक था तब रोजाना 260 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की माग थी मुंबई की डिमांड 210 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की है अभी करीबन 240 मेट्रिक टन ऑक्सीजन लग रहा है.
- कोरोना की पहली लहर के वक्त ही बीएमसी को इस बात का अंदाजा आ गया था कि ऑक्सीजन इस लड़ाई में अहम हथियार है. लिहाजा इसके मैनेजमेंट पर तभी से काम करना शुरू कर दिया गया था.
- बीएमसी ने सबसे पहले ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई के सिस्टम को बदला क्योंकि ध्यान में यह आया किस सिलेंडर से ऑक्सीजन का वेस्टिज ज्यादा हो रहा है
जिसके बाद सिलेंडर बेड सिस्टम को पाइपलाइन बेड सिस्टम में बदल दिया. यह काम जनवरी में ही पूरा कर लिया गया.
- हर कोविड वार्ड में ऑक्सीजन नर्स सिस्टम की तैनाती की जिसका काम था कि वह हर वार्ड में प्रति मरीज ऑक्सीजन लेवल 94 तक रखें जो मरीज के लिए उपयुक्त है जो पहले 98 तक रहती थी. हाई फ्लो नेझल केनाल पाइप का इस्तेमाल न करने की सूचना डॉक्टररों को दी.
- बीएमसी ने प्राइवेट अस्पतालों से अपनी ऑक्सीजन सप्लाई का 20% हिस्सा रिजर्व करने को कहा, साथ ही भरोसा दिलाया कि जरूरत पड़ने पर उन्हें सप्लाई मिलेगी.
- इसके अलावा बीएमसी ने डॉक्टरों के साथ ट्रेनिंग सेशन किया, ताकि ऑक्सीजन का सही इस्तेमाल किया जा सके. डॉक्टरों को बताया गया कि वो मरीजों को दवाई, वॉक टेस्ट करवाएं, इससे ऑक्सीजन सप्लाई पर निर्भरता कम हुई और मरीज डिस्चार्ज होना शुरू हुए.
दूसरी लहर के बीच भी मुंबई के पहचान कोरोना कॉपिटल के तौर पर ही देश में की जा रही थी. अप्रैल के महीने में मुंबई में संक्रमितों का आंकड़ा 11 हजार के पार पहुंच गया था. लेकिन एक महीने में ही बीएमसी संक्रमितो की संख्या तीन हजार के करीब लाने में कामयाब हो पाई है और यही वजह है कि मुंबई मॉडल की चर्चा अब देशभर हो रही है.