जानें क्या है PAC, कब हुआ था गठन और कैसे चुना जाता है इसका चेयरमैन
पीएसी का गठन 1921 में मान्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार के अंतर्गत किया गया था. इसके गठन के बाद डब्ल्यूएम हेले को इसका पहला अध्यक्ष गया था. इसके पहले भारतीय अध्यक्ष भूपेंद्र नाथ मित्रा थे.

नई दिल्ली: राफेल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस और बीजेपी एक बार फिर से आमने-सामने आ गई. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा था कि राहुल राफेल मुद्दे पर गलत बयानी करने के लिए देश से माफी मांगे. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हमने इसकी रिपोर्ट कैग को दी थी, जिसे कैग ने पीएसी के सामने पेश किया था लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार के इस दावे पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि मैं पीएसी का चेयरमैन हूं, मेरे सामने तो कोई रिपोर्ट नहीं आई. सरकार किस पीएसी की बात कर रही है.
पीएसी को लेकर पहले भी विवाद हो चुके हैं. 2010 में पीएसी के तत्कालीन चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी ने 2G घोटाले के संबंध में कहा था कि वो इस मामले में पेश होने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बुला सकते हैं. जिसके बाद काफी हंगामा हुआ था.
क्या है पीएसी
पीएसी का फुल फॉर्म 'पब्लिक अकाउंट्स कमेटी' होता है. इस कमेटी का अध्यक्ष विपक्ष का नेता है. कमेटी का काम सरकार के खर्च का हिसाब-किताब देखना होता है. पीएसी का गठन 1921 में मान्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार के अंतर्गत किया गया था. देश को आजादी मिलने से पहले तक वित्त मंत्री इसके चेयरमैन हुआ करते थे. बाद में वित्त मंत्री की जगह लोकसभा के स्पीकर को इसका चेयरमैन बना दिया गया.
इसके गठन के बाद डब्ल्यूएम हेले को इसका पहला अध्यक्ष गया था. इसके पहले भारतीय अध्यक्ष भूपेंद्र नाथ मित्रा थे. 1967 में स्वतंत्रता पार्टी के सदस्य सांसद मीनू मसानी को इसका चेयरमैन बनाया गया. तब से विपक्षी दल से ही इसका मुखिया चुना जाने लगा. अलट बिहारी वाजपेयी, एनडी तिवारी और मुरली मनोहर जोशी इसके चेयरमैन रह चुके हैं. इसके वर्तनाम अध्यक्ष कांग्रेस के सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं.
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पीएसी के कार्य
पीएसी संसद के कुछ चुने गए सदस्यों की कमेटी है. इसका गठन संसद के जरिए होता है. ये सरकार के खर्चों की ऑडिटिंग करती है. इसमे कुल 22 सदस्य होते हैं. जिनमें से 15 लोकसभा और 7 राज्यसभा से होते हैं. इनका निवार्चन एक साल के लिए होता है. पीएसी, नियंत्रक महालेखा परीक्षक (CAG) के जरिए दिये गये लेखा परीक्षण जुड़े हुए प्रतिवेदनों की जांच करती है. पीएसी के पास कुल किये जाने वाले खर्च की निगरानी की शक्ति होने की वजह से ये सांसदों के जरिए किये गये खर्च में अगर कुछ गड़बड़ी की गई है तो उसकी जांच करने का अधिकार रखती है.
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