भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष नेताओं का चतुष्पक्षीय गठबंधन या क्वाड गठबंधन ढांचे के तहत पहला शिखर सम्मेलन ऑनलाइन प्रारूप में 12 मार्च को आयोजित किया जा रहा है. इस सम्मेलन में क्षेत्रीय मुद्दों सहित कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. गौरतलब है कि इस दौरान कोरोना संकट के समय की चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक संकट जैसे तमाम विषयों पर शीर्ष नेता अपने-अपने विचार व्यक्त करेंगे.. इसके साथ ही आगामी सम्मेलन ऐसे समय में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाने की दिशा में एक प्रमुखी कदम होगा जब चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए प्रयासरत है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे क्वाड क्यों कहा जा रहा और चीन इससे क्यों परेशान रहता है?


क्या है क्वाड


बका दें कि क्वाड का अर्थ 'क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग' है, इसके अंतर्गत चार देश भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका आते हैं. इस क्वाड का मकसद एशिया- प्रशांत क्षेत्र में शांति और शक्ति की बहाली करना और संतुलन बनाए रखना है. गौरतलब है कि साल 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो अबे द्वारा क्वाड का प्रस्ताव पेश किया गया था. इस प्रस्ताव को समर्थन भारत, अमेरिका और आस्ट्रेलिया ने किया था. जिसके बाद साल 2019 में इन सभी देशों के विदेश मंत्रियों की पहली मीटिंग हुई थी.


क्वाड की वजह से चीन की बौखलाहट बढ़ी


क्वाड की वजह से चीन के माथे पर सिलवटें रहती हैं. दरअसल चीन को लगता है कि क्वाड में शामिल भारत, अमेरिका और जापान, जैसे शक्तिशाली देश उसके खिलाफ मिलकर किसी रणनीतिक साजिश को रच रहे हैं. चीन को ये भी लगता है कि क्वाड समुद्र में चीन के आसपास अपने वर्चस्व को बढ़ाना चाहता है और भविष्य में उसे टारगेट का जा सकता है. चीन क्वाड को अपने खिलाफ अमेरिका की साजिश के तौर पर देखता है. उसे लगता है कि क्वाड के जरिए अमेरिका उसके अस्तित्व को मिटाना चाहता है.


जबकि क्वाड देशों के समूह का उद्देश्य एक स्वतंत्र और समावेशी क्षेत्रीय वास्तुकला को एक दूसरे के साथ साझा करना है.


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