जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पत्रकार बेट्टे डैम ने रूस-यूक्रेन समेत तालीबन पर क्या कुछ कहा, जानिए
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन डच खोजी पत्रकार बेट्टे डैम और ब्रिटिश विदेशी संवाददाता क्रिस्टीना लैम्ब के साथ एक खास सत्र में कई दिलचस्प बातें दर्शकों को सुनने को मिली.
आज हम एक ऐसे वक्त में जी रहे हैं जब पूरी दुनिया में लगातार कुछ न कुछ घट रहा है जिससे हर कोई प्रभावित है. रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध हो या तालीबान द्वारा काबुल पर कब्जा पूरी दुनिया में इन विषयों पर चर्चा हो रही है. ऐसे वक्त में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन डच खोजी पत्रकार बेट्टे डैम और ब्रिटिश विदेशी संवाददाता क्रिस्टीना लैम्ब के साथ एक खास सत्र में कई दिलचस्प बातें दर्शकों को सुनने को मिली.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2022 में इतिहासकार और लेखक विलियम डेलरिम्पल के साथ बातचीत में दोनों ने इतिहास और अंतरराष्ट्रीय करंट अफेयर्स की अस्थिर स्थिति पर चर्चा की. बेट्टे डैम की नई किताब 'लुकिंग फॉर द एनिमी (2021)', तालिबान के एकांतिक सह-संस्थापक और नेता मुल्ला उमर को ट्रैक करने के लिए उसके पांच साल के लंबे प्रयास का नतीजा है.
वहीं क्रिस्टीना लैम्ब फेयरवेल काबुल (2014), ऑवर बॉडीज, देयर बैटलफील्ड (2020), और आई एम मलाला (2012) सहित कई किताबों के लेखक हैं.
यूक्रेन में चल रहे संकट को लेकर अपनी बात रखते हुए लैम्ब ने सबके सामने इस धारणा को रखा कि कैसे तालिबान के हाथों अफगानिस्तान में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की 2021 की निहित हार ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपना वर्तमान आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया.
वह चर्चा के दौरान सोवियत-अफगान युद्ध की याद भी दिलाती है, जो 1979 में शुरू हुआ था. उन्होंने कहा कि जब मुजाहिदीन यूएसएसआर को बाहर करने में कामयाब रहे, तो इस प्रक्रिया में लगभग दस लाख लोगों की जान चली गई.
तालिबान पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि तालीबान और आईएसआई के बीच संबंध पहली बार बेनजीर भुट्टो के शासनकाल के दौरान ही मजबूत हुए. लगभग उसी समय, आईएसआई ने भी कश्मीर में काम करना शुरू कर दिया, अफगानिस्तान में अपने प्रयासों को दोहराने की कोशिश की..
दूसरी ओर, डैम ने इस बात पर अपनी चिंता व्यक्त की कि कैसे पश्चिम यूक्रेन में हथियार भेज रहा है, साथ ही यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों से लड़ने के लिए लोग शामिल हो रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम द्वारा प्रदान किए गए हथियारों के बिना, कोई मुल्ला उमर नहीं हो सकता है.