नई दिल्ली: लालकिले की प्राचीर से प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी इस दफे 'न्यू इंडिया' की अवधारणा को विस्तार देंगे. एक ऐसा भारत, जहां सबको बराबरी के अवसर हो. एक ऐसा भारत जहां आर्थिक, सामाजिक या किसी भी विषमता की वजह से किसी का अवसर ना छिने. साथ ही अपने तीन साल के वादों की कामयाबी और भविष्य के इरादों का रोडमैप भी सामने रखेंगे.


आर्थिक उपलब्धियों, आतंक पर प्रहार के साथ सामरिक सुरक्षा के मोर्चे पर जीरो टोलरेंस की हुंकार भी उनके भाषण में होगी. अलबत्ता चीन का सीधे नाम लेने के बजाय एक्ट ईस्ट के जरिए पूर्वी पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में गहराई और सीमाओं की सुरक्षा पर उठाए गए कदमों पर बोलकर उठ रहे सवालों का अपने अंदाज में जवाब दे सकते हैं. एक और बात, इस दफे पीएम मोदी का भाषण पिछले तीन सालों की तुलना में छोटा होगा.


तीन साल से हर 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से नरेंद्र मोदी आगे का अपना एजेंडा रखते रहे हैं. साथ ही अपने ऊपर उठने वाले तमाम सियासी सवालों के जवाब भी वे इशारों में देते रहे हैं. अब जबकि उनकी सरकार के तीन साल हो चुके हैं. साथ ही देश की सियासी फिजां में फिलहाल आर्थिक, सामाजिक और सामरिक मसलों पर तमाम सवाल तारी हैं तो उनके भाषण में खोजने के प्रयास किए जाएंगे.


इस बार मोदी के भाषण पर चुनौती ज्यादा है. इससे पहले जब पीएम मोदी लालकिले की प्राचीर से बोलते थे तब सरकार को सत्ता संभाले कम समय हुआ था. मतलब पिछले साल भी 15 अगस्त को मोदी सरकार के ढाई साल यानी आधे कार्यकाल से कम हुए थे. अब उनकी सरकार का समय कम बचा है और शासन ज्यादा हो चुका है. ऐसे में अब उन्हें अपने लगभग 60 फीसद कार्यकाल का हिसाब देने की चुनौती ज्यादा होगी.


इस कड़ी में जाहिर तौर पर जीएसटी पर पीएम बोलेंगे. पूरे देश को एक आर्थिक शासन के दायरे में लाने वाले इस बड़े आर्थिक सुधार के फायदे गिनाएंगे ही. साथ ही अभी तुरंत आई आर्थिक रिपोर्ट का भी हवाला दिया जाएगा. इसके मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सबसे मजबूत दौर से गुजर रही है. इसके अलावा स्वच्छ भारत अभियान और उज्जवला जैसी उनके दिल के करीब योजनाओं का भी वे गुणगान करेंगे. सूत्रों का यह भी कहना है कि पिछले स्वाधीनता दिवस के भाषण से लेकर अब तक आधा दर्जन राज्यों में जो बीजेपी की सरकारें स्थापित हो गई हैं, उसे भी परोक्ष रूप से देश की जनता के मिल रहे समर्थन से जोड़ेंगे.


सूत्रों ने साफ कहा कि इस दफा मोदी के भाषण में रोडमैप से ज्यादा जो पिछले कदम उठाए गए हैं. उनके नतीजे और जो शुरुआत हुई है, उस पर उनका फोकस होगा. 2022 यानी आजादी के 75वें साल के लक्ष्य के लिए पूरे देश को प्रेरित करने का वह प्रयास करेंगे. कश्मीर, पाकिस्तान पर उनका जवाब सख्त और सीधा होगा. वहीं चीन के साथ चल रहे विवाद पर चूंकि भारत ने जमीन पर पैर मजबूती से जमा रखे हैं, लिहाजा 'ड्रैगन' को चिढ़ाने वाले बयानों से सरकार बच रही है. इसलिए, लालकिले की प्राचीर से सीधे तो इस पर भी कुछ शायद ही वह बोलें, लेकिन भारतीय हितों की सुरक्षा के लिए देश के सामर्थ्य को चुनौती न देने की हुंकार वह जरूर भरेंगे.


साथ ही प्राकृतिक आपदा मसलन बाढ़ और गोरखपुर जैसी घटनाओं पर व्यवस्थाओं को ज्यादा चुस्त और सक्षम बनाने की दिशा में वह वृहद स्तर पर कुछ संदेश देंगे. इसके अलावा बदलते भारत की तस्वीर को वह दिखाएंगे. गरीब और पिछड़े परिवारों के लोग कैसे शीर्ष पदों पर गए हैं, इनको भी वह छुएंगे. मगर सबसे ज्यादा जोर युवा, महिलाओं पर होगा. रोजगार और उनकी सुरक्षा के साथ स्वावलंबन मोदी के भाषण के केंद्र में होगी.