बुलंदशहर हिंसा: मारो-मारो चिल्ला रही थी हिंसक भीड़, बेबस थे पुलिसकर्मी, जानें अब तक का अपडेट
Bulandshahr Violence: एफआईआर के मुताबिक, भीड़ ने घायल इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को इलाज में ले जाने से रोका था, पुलिसकर्मी इलाज के लिए सरकारी वाहन में बैठाने लगे तो भीड़ ने हमला कर दिया.
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित पश्चिम उत्तर प्रदेश का बुलंदशहर जिले में खामोशी है. इस खामोशी के बीच सायरन की आवाज और खाकी वर्दी में मुश्तैद जवान यह बताने के लिए काफी है कि शहर सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में है. दरअसल, कल बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र में एक पुलिस अधिकारी की भीड़ ने हत्या कर दी. इसके अलावा एक और आदमी को मार दिया गया. दर्जनों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. घटना के बाद कर्फ्यू जैसे हालात हैं. एक हजार से अधिक पुलिस को तैनात किया गया है. स्कूल, कॉलेज और दुकानें बंद हैं. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसे हालात किसने पैदा किए और तब प्रशासन क्या कर रहा था? कैसे एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई?
आज जब उत्तर प्रदेश के एडीजी कानून व्यवस्था आनंद कुमार प्रेस कांफ्रेंस करने आये तो इन्हीं सब सवालों से घिरते दिखे. हर सवाल के जवाब में बस इतना कह पाए की एसआईटी का गठन किया गया है जो भी रिपोर्ट दी जाएगी आपको बता दिया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी. आनंद कुमार ने कहा कि पुलिस की लापरवाही के मामले में तब तक कोई भी कार्रवाई जब तक की जांच पूरी नहीं हो जाती है.
अब एफआईआर पर गौर करें तो इसमें पूरी घटना का जिक्र है और 27 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 149, 124-ए, 332, 333, 353, 341, 336, 307, 302, 427, 436, 395 और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 1932 की धारा 7, सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस ने क्या कार्रवाई की? एडीजी आनंद कुमार ने बताया कि बुलंदशहर में सोमवार को हुई हिंसा के मामले में चार नामजद को गिरफ्तार किया गया है, मुख्य आरोपी योगेश राज अब भी फरार है. जिसकी तलाशी के लिए लगातार दबिश दी जा रही है. कुछ लोग हिरासत में हैं अभी भी पूछताछ जारी है. हिंसा के आरोपियों की तलाश में पुलिस की छह टीमें लगायी गयी हैं.
क्या किसी संगठन का हाथ है? पुलिस ने इस सवाल पर कहा है कि हमें इसकी जानकारी नहीं है. जांच के बाद ही सबकुछ पता चलेगा. हालांकि मुख्य आरोपी योगेश राज के बारे में खबर है कि वह बजरंग दल से जुड़ा है. वहीं 27 आरोपियों में वीएचपी और बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं का भी नाम है.
कैसे शुरू हुआ मामला? पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, महाव गांव के जंगल में गोवंश की हत्या की जानकारी मिली थी. मामला यहीं से तनावपूर्ण हो गया. पुलिस वहां पहुंची तो 50 से 60 की संख्या में लोग मौजूद थे और नारेबाजी कर रहे थे. जिसके बाद स्याना थाना के प्रभारी निरीक्षक ने इन लोगों को काफी समझाया लेकिन वे नहीं माने. भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया. जिसका नेतृत्व योगेश राज कर रहा था.
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बाद में योगेश राज के नेतृत्व में करीब डेढ़ बजे चौकी चिंगरावठी के सामने भीड़ ने सड़क जाम कर दिया और हिंसा करने लगे. मौके पर मौजूद एसडीएम स्याना और क्षेत्राधिकारी स्याना ने भीड़ को लाउडस्पीकर से बार बार शांत हो जाने की अपील करते रहे. एफआईआर में कहा गया है कि इन अधिकारियों ने कथित गोकशी के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया और कहा कि आप स्याना थाना चलकर गोकशी मामले की एफआईआर ले लें. लेकिन सभी आरोपी लोगों को हिंसा के लिए भड़काते रहे. जिसके बाद हालात अनियंत्रित हो गया. भीड़ ने असलाह, लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया.
भीड़ मारो-मारो चिल्ला रही थी
प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह को गोली मार दी गई और उन्हें पीटा गया. अधिकारी से पिस्टल और तीन मोबाइल भी भीड़ ने छीन लिया. वायरलेस को तोड़ दिया गया. पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया गया. सरकारी और प्राइवेट संपत्ति में आग लगा दी गई. उग्र भीड़ मारो-मारो चिल्ला रही थी.
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उपद्रवी यहीं नहीं माने घायल पड़े इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को इलाज में ले जाने से रोका गया. एफआईआर के मुताबिक, पुलिसकर्मी इलाज के लिए सरकारी वाहन में बैठाने लगे तो भीड़ ने दोबारा हमला कर दिया. इसमें पुलिसवालों को काफी चोटें आईं और सामने कॉलोनी के लोग घरों के खिड़की-दरवाजे बंद कर छिप गए. कमरे में बंद पुलिस अधिकारी ने फिर संबंधित विभाग से अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की. भारी संख्या में पुलिस पहुंची. कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. उन्होंने घर का दरवाजा तोड़ दिया और बंद पुलिसकर्मियों को निकाला.
फिर घायल सुबोध कुमार सिंह को सीएचसी लखावटी (औरंगाबाद) ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पुलिसकर्मियों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया. हवाई फायरिंग की. पुलिस का दावा है कि चौकी की घटना सीसीटीवी में कैद है. आंखों-देखी और सीसीटीवी के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.
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