दिल्ली में कोरोना का रिकवरी रेट 90 फीसदी से ज़्यादा है. हालांकि अब कुछ ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जिनमें कोरोना से ठीक हुए मरीज़ों को सांस लेने, थकान और कमज़ोरी जैसी समस्याएं भी हो रही है. ऐसे लोगों की मदद के लिये दिल्ली में बनाया गया है 'पोस्ट कोविड क्लिनिक'. यानी किसी कोरोना मरीज़ के निगेटिव आने के बाद अगर उसे कोई तकलीफ है तो उसे इस क्लिनिक में हर तरह की मेडिकल सहायता दी जायेगी.
दिल्ली में कोरोना के इलाज में लगे राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में राजधानी का पहला पोस्ट कोविड क्लिनिक बनाया गया है. 500 बेड वाले राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल से अब तक करीब 1500 मरीज़ कोरोना से ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं. अस्पताल प्रशासन के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से कुछ लोगों ने अस्पताल को संपर्क किया जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं लेकिन अब उन्हें कई तरह की दिक्कतें भी आ रही हैं. इसी को देखते हुए अस्पताल ने पोस्ट कोविड क्लिनिक खोलने का फैसला लिया है. कोरोना से ठीक होकर नेगेटिव टेस्ट होने के 15 दिन के बाद के समय को पोस्ट कोविड की श्रेणी में रखा जाता है.
कैसा होगा 'पोस्ट कोविड क्लीनिक'
राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में बनकर तैयार इस क्लीनिक में करीब 50-60 मरीज़ों को एक बार में अटेंड करने की क्षमता है. क्लीनिक में एक रजिस्ट्रेशन डेस्क है जहां मरीज़ खुद को रजिस्टर करा सकते हैं. एक एग्जामिनेशन रूम है जहां डॉक्टर्स की टीम मरीज़ की दिक्कतों को समझकर, स्तिथी का आंकलन कर ज़रूरी परामर्श देगी. एक काउंसिलिंग रूम है जहां मरीज़ों की काउंसिलिंग की व्यवस्था की जायेगी, ताकि मानसिक तौर पर अगर कोई समस्या है तो उसके लिये सही विशेषज्ञ की सलाह दी जाये. एक योगा सेंटर हैं जहां मेडिटेशन और योग की क्लासेज ली जाएंगी. इसके साथ ही क्लीनिक में एक लैब भी स्थापित की जा रही है जिसमें साधारण ब्लड टेस्ट, ECG, X-ray से लेकर CT स्कैन तक सभी तरह के ज़रूरी टेस्ट कराये जा सकेंगे. क्लीनिक में फिजिशियन, पल्मोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट आदि भी मौजूद होंगे.
राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी के डायरेक्टर डॉ बी एल शेरवाल ने बताया, "कोरोना से ठीक हुए मरीजों को जब भी कोई परेशानी होती है तो वह अस्पताल में फोन करते हैं. ज़्यादातर लोगों में एक आम तरीके की समस्या देखी जा रही थी, उनको सांस लेने में दिक्कत हो रही है, ऑक्सीजन ड्राप कर रहा है या ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस कर रहे हैं. इस तरह की दिक्कत किसी को है तो वो हमारे फ्लू कॉर्नर और अन्य वार्ड या कोविड एरिया में दोबारा जाना पसंद नहीं करता. पिछले कुछ दिनों से इस तरह की ज्यादा शिकायतें भी सामने आई हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि ऐसे मरीजों का आंकलन किया जाए, उनका परीक्षण किया जाए और जो भी जरूरी टेस्ट है वो कराये जाएं. ताकि यह समझा जा सके कि उनको क्या मदद की जरूरत है. हमें जो अभी तक समझ आया है उसमें कुछ मरीज़ों में फाइब्रोसिस देखा गया है. हमें लगता है कि ऐसे मरीज़ की काउंसलिंग करना बहुत जरूरी है उनका आत्मविश्वास बढ़ाना बहुत जरूरी है."
क्लीनिक की खासियत के बारे में बताते हुए डॉ शेरवाल ने कहा, "मानसिक तौर पर मरीज़ों को मजबूत रखने के लिये उनकी काउंसलिंग आवश्यक है, जिसके लिये काउंसिलिंग सेंटर बनाया है. हम यहां एक योगा इंस्ट्रक्टर भी रखेंगे जो योगा की क्लासेस समय-समय पर लेते रहेंगे. एक फिजियोथेरेपिस्ट होगा जो सांस लेने से जुड़ी एक्सरसाइज और अन्य एक्सरसाइज के बारे में मरीजों को गाइड करेंगे. कब कितनी एक्सरसाइज करनी है यह भी एक अहम पहलू होता है. साथ में मेडिटेशन पर ध्यान दिया जाएगा. और जरूरत पड़ी तो मरीज़ को कोई दवा देनी है या co-morbidity की समस्या है तो स्पेशलिस्ट को भी बुलाया जायेगा. जरूरत पड़ने पर CT स्कैन भी किया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि फेफड़ों की क्या स्थिति है. हम कोशिश कर रहे हैं कि एक ही जगह पर सभी सुविधाएं उन लोगों के लिए जो कोविड से ठीक होने के 15 दिन के बाद शिकायत कर रहे हैं. हम इसकी तैयारी भी कर रहे हैं कि फोन के जरिए और ऑनलाइन भी लोगों को मदद कर सकें."
इस तरह के क्लीनिक को शुरू करने की ज़रूरत क्यों पड़ी इसके जवाब में डॉ शेरवाल ने बताया, "करीब 1500 मरीज हमारे हॉस्पिटल से अभी तक डिस्चार्ज हो चुके हैं. जहां तक बात है पोस्ट कोविड क्लीनिक की, तो शुरुआत में इस तरह की शिकायतें नहीं आती थी क्योंकि शुरू में जो मरीज आ रहे आ रहे थे वह ज्यादातर बाहर से आने वाले टूरिस्ट और जवान लोग थे. अब पहले से ही गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीज़ ज्यादा आते हैं. मेरा मानना है कि इसमें एक पहलू co-morbidities भी हो सकती हैं और ऐसे मरीजों में यह बड़ा हो सकता है. पहले हमें नहीं लगा था कि यह इतना जरूरी है लेकिन अब जैसे दिन प्रतिदिन कुछ एक शिकायत आ रही हैं तो हमें लगता है कि इसकी जरूरत है जहां पर एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं मरीजों को दी जा सके. खासकर हमारे मरीज वह जो होम आइसोलेशन में ठीक हुए हैं या किसी और हॉस्पिटल से ठीक हुए हैं वह सभी यहां आकर मदद ले सकते हैं."
पोस्ट कोविड क्लीनिक के कॉन्सेप्ट के बारे में जानकारी देते हुए राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कोरोना के नोडल ऑफिसर डॉ अजीत जैन ने कहा, "यह कॉन्सेप्ट चाइना से आया है जहां पर सबसे ज्यादा केस पलमोनरी फाइब्रोसिस के आए हैं. हमने उनके अनुभव से सीखा है और अब कोरोना से ठीक हुए मरीजों का आंकलन करना शुरू किया है. जिनको फेफड़ों या दिल से जुड़ी दिक्कतें थीं या जिनको सूंघने और स्वाद पहचानने की शक्ति खत्म हो जाती है उनकी न्यूरोलॉजी साइकोलॉजिकल बिहेवियर पैटर्न चेंज देखना अहम है. ये समझना होगा कि जो व्यक्ति एक या डेढ़ महीना आइसोलेशन में रहा है और फिर घर जाकर भी आइसोलेशन में रहता है उसका मानसिक स्तर क्या होगा. पोस्ट कोविड क्लीनिक में इस सबका आंकलन किया जायेगा."
जनाकरों के मुताबिक कोरोना वायरस के लंबे प्रभाव के चलते मरीज़ों को नेगेटिव टेस्ट होने के बाद पोस्ट कोविड सिंड्रोम के लक्षण दिख जाते हैं. इसका मतलब दोबारा कोरोना होना नहीं है. कई मामलों में फेफड़ों का एक छोटा हिस्सा जो प्रभावित हो जाता है, वहां फाइब्रोसिस होता है और ऑक्सिजनेशन नहीं हो पाता. ऐसे मरीजों की हैंड होल्डिंग बहुत ज़रूरी है. इस पोस्ट कोविड क्लीनिक में काउंसिलिंग, रिहैबिलिटेशन, योगा के जरिये मरीज़ों की मदद की जायेगी. और अगर ज़रूरत हुई तो अस्पताल प्रशासन पोस्ट कोविड वार्ड का भी निर्माण करेगा.