(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कौन से हैं वे खतरनाक डंकी रूट्स जिसमें मर गए कई भारतीय, कितना मुश्किल है इन्हें पार करना? जानें
डंकी रूट्स हर देश के बॉर्डर वाले इलाके में हैं. इन रूट्स से लोग एक देश से दूसरे देश में अवैध तरीके से दाखिल होते हैं. हालांकि, इन रास्तों को पार करना इतना आसान नहीं होता.
डंकी यानी गधा, कहने को एक जानवर है, जिसे विशेषण के तौर पर इंसानों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. इस उन इंसानों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो मूर्ख हों या अहमक हों. हालांकि, अंग्रेजी के डंकी का एक और व्यापक अर्थ है, जिसे लेकर शाहरुख खान की फिल्म भी आई है और उसका भी नाम डंकी ही है. लेकिन आज बात डंकी फिल्म की नहीं है ,बल्कि बात उस डंकी की है, जिसपर ये कहानी आधारित है.
दरअसल, यह कहानी उन रास्तों की है, जिन्हें पार करने में कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी. तो आखिर क्या होता है ये डंकी रूट्स, दुनिया में कौन-कौन से ऐसे देश हैं, जहां सबसे खतरनाक डंकी रूट्स मौजूद हैं और क्यों इन्हें पार करने के दौरान लोग क्यों मर जाते हैं. आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.
अब अगर किसी भारतीय को दुनिया के किसी भी दूसरे देश में जाना हो तो उसका लीगल तरीका है. इसके लिए उसके पास भारत का एक वैध पासपोर्ट होना चाहिए. फिर वह देश, जहां वह जाना चाहता है, उसे वीजा जारी करेगा और फिर वह उस देश में आसानी से जा सकता है.
क्या होता डंकी रूट?
कुछ लोग दूसरे देश घूमने के लिए जाते हैं तो कुछ पढ़ने के लिए. इसके अलावा कुछ काम करने के लिए जाते हैं और रहने के लिए भी. यानी जिसकी जैसी जरूरत, उसको वैसा वीजा, लेकिन अगर किसी शख्स को वीजा न मिले तो वह कानूनी तौर पर दूसरे देश में नहीं जा पाएगा. ऐसे में वह वहां जाने का अवैध तरीका अपनाता है. यही जो गैर कानूनी रास्ता है, उसे ही कानून की भाषा में कहते हैं डंकी रूट्स. ऐसे डंकी रूट्स हर देश के बॉर्डर वाले इलाके में हैं. भारत जैसे देश में भी, पाकिस्तान जैसे देश में भी और अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देश में भी.
अमेरिका जाने के लिए मेक्सिकों है डंकी रूट
इसे भारत और अमेरिका के एक उदाहरण से समझते हैं. भारत में लाखों ऐसे लोग हैं, जो अमेरिका जाना चाहते हैं, लेकिन वीजा न मिलने की वजह से वे अमेरिका जा ही नहीं पाते हैं. हालांकि, इनमें ऐसे भी लोग हैं, जो अवैध तरीके से या कहिए कि डंकी रूट्स के जरिए अमेरिका में घुसने की कोशिश करते हैं. मेक्सिको, ग्वाटेमाला, सल्वाडोर और होंडुरस के बाद भारत दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा देश है, जहां से अवैध तरीके से लोग अमेरिका में दाखिल होते हैं. और इसका सबसे प्रचलित रास्ता है मेक्सिको का.
अमेरिका के साथ मेक्सिको का करीब 3155 किलोमीटर का बॉर्डर है. इसी बॉर्डर के जरिए दुनिया भर के लोग अवैध तरीके से अमेरिका में दाखिल होते हैं और इनमें बड़ी संख्या में भारतीय भी हैं. एक आंकड़े के मुताबिक 2022 के आखिर तक करीब एक लाख भारतीय ऐसे थे, जिन्हें अमेरिका ने अवैध तरीके से उनके देश में घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
अमेरिका में अवैध रूप से पहुंचे भारतीय
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 और उसके बाद भारत से अमेरिका जाने वाले अवैध प्रवासियों की संख्या में करीब पांच गुने का इजाफा हुआ है. अब देखने-सुनने में तो ये बड़ा आसान लगता है कि एक लाख लोग अमेरिका जाने की फिराक में थे और अमेरिका ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. लेकिन भारत से डंकी रूट के जरिए पहले मेक्सिको और फिर अमेरिका तक पहुंचना कितना आसान है, इसको समझने की कोशिश करेंगे तो पैरों तले ज़मीन खिसक जाएगी.
मेक्सिको तक पहुंचने के लिए ही इतनी जद्दोजहद करनी पड़ती है कि आम इंसान तो उम्मीद ही छोड़ देता है, लेकिन बात खुद के अस्तित्व को बचाने की हो तो आदमी हर लड़ाई लड़ लेता है और यह लड़ाई आर-पार की होती है. जीत गए तो अमेरिका जैसे देश में काम और हार गए तो मौत या ज़िंदगी बची तो फिर ऐसी कि हर रोज मरने की दुआ करनी पड़े.
भारतीयों को सबसे पहले जाना होता है इक्वाडोर
इसलिए वीजा मिले तो ठीक वरना डंकी रूट से ही भारतीय अमेरिका जाने की कोशिश करते रहते हैं. डंकी रूट के जरिए अमेरिका में दाखिल होने के लिए सबसे पहले भारत से पहुंचना पड़ता है दक्षिण अमेरिका के देश इक्वाडोर. भारत से इक्वाडोर की दूरी है करीब 16 हजार किलोमीटर. इक्वाडोर से फिर कार या बोट के जरिए जाना पड़ता है दक्षिण अमेरिका के ही एक और देश कोलंबिया.
यह दूरी भी करीब एक हजार किलोमीटर की है. कोलंबिया से पैदल जाना होता है मध्य अमेरिका के देश कोस्टा रिका. ये दूरी भी एक हजार किलोमीटर से ज्यादा की है और इसमें भी बड़ा रास्ता पैदल ही तय करना पड़ता है. यही दूरी सबसे खतरनाक होती है और अगर इसे पार कर लिया तो आधा से ज्यादा रास्ता तय हो जाता है.
बेहद खतरनाक होता है रास्ता
दरअसल, कोलंबिया से कोस्टा रिका के बीच घने जंगल हैं, जिन्हें पैदल पार करना पड़ता है. कई बार इन जंगलों में जानवर भी होते हैं, जिनसे मुकाबला करना पड़ता है. कई बार डंकी रूट्स के जरिए जा रहे लोगों से लूट-पाट भी हो जाती है और तब उनकी जान पर बन आती है. इतना ही नहीं छोटी-छोटी नावों के जरिए समंदरों को पार करना भी खतरनाक होता है. कई बार बोट्स डूब जाती हैं और लोगों की मौत भी हो जाती है.
अब अगर ये दूरी तय कर भी ली तो फिर वहां से जाना होगा निकारागुआ. ये दूरी भी करीब 700 किलोमीटर की है. राहत बस इतनी सी है कि इस दूरी को कार या फिर बोट से तय किया जा सकता है. निकारागुआ पहुंच भी गए तो वहां से बस या फिर कार से जाना होगा मेक्सिको. और ये दूरी भी तीन हजार किलोमीटर से ज्यादा की है.
यानी कि भारत से मैक्सिको पहुंचने के लिए ही 20 हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर करना है और उसमें भी एक हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर पैदल ही करना है. ये सब करते-कराते अगर मैक्सिको पहुंच भी गए तो एक फीसदी से भी कम चांस है कि आप अमेरिकी सीमा में वो दाखिल हो पाए, क्योंकि अवैध प्रवासियों को लेकर ट्रंप के आने के बाद से ही अमेरिका ने जो सख्ती की है.
एक लाख से ज्यादा भारतीय अमेरिकी में गिरफ्तार
उसका नतीजा है कि एक लाख से ज्यादा भारतीय अमेरिकी गिरफ्त में हैं. इस पूरी यात्रा में दो महीने से लेकर साल तक लग जाते हैं और 50 लाख रुपये से दो-तीन करोड़ रुपये तक खर्च हो जाते हैं, इसके बावजूद भी कोई ये सुनिश्चित नहीं कर सकता कि वो सकुशल अमेरिका में दाखिल हो ही जाएगा.
हालांकि, अमेरिका जाने का एक और रूट है और वो रूट भी मेक्सिको जाकर खत्म हो जाता है. भारत से डंकी रूट के जरिए अमेरिका पहुंचने वाले लोग भारत से दुबई जाते हैं. दुबई से अजरबैजान. फिर वहां से तुर्की. वहां से पनामा और फिर पनामा से मेक्सिको और मेक्सिको के बाद फिर वही खतरा, जो दूसरे रूट का है.
सभी नहीं पहुंच पाते अमेरिका
इसे साल 2017 के एक बड़े हादसे से समझ सकते हैं. साल 2017 में करीब 30 भारतीयों का जत्था अवैध तरीके से अमेरिका में दाखिल होने के लिए निकला था. तब हर मुश्किल को पार करते हुए ये लोग डैरियन गैप में फंस गए. वहां तक जाते-जाते इनके पास न तो खाने के लिए खाना बचा और न ही पीने के लिए पानी.
प्यास लगती तो अपने ही कपड़ों को निचोड़कर अपना पसीना पीते और भूख लगती तो जमीन पर बैठकर इंतजार करते कि कहीं कोई जहरीला सांप उन्हें न काट ले. हालांकि किसी तरह वो लोग अमेरिका पहुंचने में कामयाब रहे और फिर जो उनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई.
लेकिन सब ऐसे नहीं होते हैं जो लड़कर पहुंच जाते हैं. जैसे गुरप्रीत कौर. वो तब छह साल की थी. उसकी एक और बहन थी जो आठ साल की थी. उनकी मां दोनों बहनों को लेकर डंकी रूट के जरिए अमेरिका निकलीं, लेकिन अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर के पास एरिजोना डेजर्ट में तीनों फंस गए. प्यास लगी तो बड़ी बहन के साथ छोड़कर मां गुरप्रीत के लिए पानी लेने निकली और जब तक वो पानी लेकर लौटती, प्यास की वजह से गुरप्रीत की मौत हो चुकी थी.
ये कहानी तो सिर्फ उनकी है, जो भारत से अमेरिका जाते हैं. अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस जाने के भी अपने ही खतरे हैं. बाकी भारत में जो आतंकी दाखिल होते हैं, वो भी अवैध तरीके से ही दाखिल होते हैं. और भी इसी तरह के डंकी रूट्स का इस्तेमाल करते हैं, जो भारत-पाकिस्तान, भारत-बांग्लादेश, भारत-नेपाल और भारत-म्यांमार सीमा से लगते हुए हैं.
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