नई दिल्ली: पांच घंटे की मैराथन चर्चा के बाद लोकसभा में आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने वाला बिल पास हो गया है. सरकार नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण वाले इस बिल में कुल 326 सांसदों ने वोट किया. 323 सांसदों इस विधेयक का समर्थन किया जबकि महज 3 सासंदों ने इसका विरोध किया. सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने लोकसभा में इस बिल को पेश किया. वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण ना देने का प्रावधान सिर्फ जातिगत मामले में सीमित है आर्थिक मामले में नहीं.


लोकसभा में इस मामले में जोरदार बहस हुई, सरकार की ओर से कई मंत्रियों ने अपनी बात रखी तो विपक्ष के कई दलों ने समर्थन के बावजूद इस बिल की खामियां भी गिनाईं. कई सांसदों ने बिल के समर्थन की बात कही वहीं कुछ ने खुलकर विरोध किया. सरकार के सहयोगी दलों ने भी बिल को लेकर अपनी बात रखी. शिवसेना ने कहा बिल की टाइमिंग पर सवाल उठाए तो वहीं अपना दल ने ओबीसी आरक्षण की समीक्षा की बात कही.


यहां पढ़ें बहस के दौरान किसने क्या कहा?


निजी क्षेत्र में लागू हो आरक्षण, नौवीं अनुसूची में डाला जाए: रामविलास पासवान
लोकसभा में सामान्य वर्ग आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने इसका समर्थन किया और विपक्ष पर हमला भी बोला. पासवान ने निजी क्षेत्र में भी आरक्षण देने की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 124वें संविधान संशोधन को नौवीं अनुसूची में डालने की मांग उठाई. बता दें कि नौवीं अनुसूची में जाने के बाद यह न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर हो जाएगा. पासवान ने यह भी कहा कि आरक्षण विरोधियों को आरक्षण देने से आरक्षण मजबूत होगा.


आबादी के हिसाब से ओबीसी आरक्षण की समीक्षा हो: अनुप्रिया पटेल
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा बिल का समर्थन किया इसके साथ ही उन्होंने ओबीसी आरक्षण की समीक्षा की भी बात कही. अनुप्रिया पटेल ने अपनी बातों से सरकार को भी घेरने की कोशिश की. अनुप्रिया पटेल ने कहा, ''क्या ओबीसी के जातिगत जनगणना के आंकड़े आने के बाद पिछड़ों को आबादी के अनुपात में आरक्षण मिलेगा? कई ऐसे राज्य हैं जहां पिछड़ों को मिलने वाला आरक्षण पूरी तरह से लागू नहीं हुआ. मध्‍य प्रदेश में ओबीसी को 27 की जगह‍ 14 फीसदी आरक्षण ही मिल रहा है. पिछड़ों की आबादी 55 प्रतिशत है, लेकिन उन्‍हें केवल 27 फीसदी आरक्षण ही दिया जा रहा है.'' अनुप्रिया पटेल ने कहा, ''न्यायपालिका में काफी लंबे समय से दलितों और पिछड़ों की संख्या कम है, ऐसे में सरकार न्यायपालिका में इन लोगों के लिए प्रवेश के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू करे.''


100% हो आरक्षण, आबादी के अनुपात में बांटा जाए: धर्मेंद्र यादव
समाजवादी पार्टी सांसद धर्मेंद्र यादव ने चर्चा के दौरान कहा कि 100% आरक्षण लागू कर देना चाहिए. इसके बाद आबाजी के अनुपात में जिसको जितना मिलना चाहिए उतना दे देना चाहिए. धर्मेंद्र यादव ने कहा, ''आबादी के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए। हम चाहते हैं कि विचार करने के बाद इस आरक्षण बिल को लाया जाए। मैं इस बिल का समर्थन करता हूं, लेकिन मैं 100 फीसदी आरक्षण लाए जाने की मांग करता हूं।''


साढ़े चार साल क्यों लग गए: शिवसेना
लगभग हर मुद्दे पर सरकार की आलोचना कर रही सहयोगी शिवसेना ने आरक्षण बिल को लेकर भी सरकार की आलोचना की. शिवसेना ने बिल की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए. शिवसेना सांसद आनंदराव अडसुल ने कहा कि आर्थिक तौर पर कमजोरों को आरक्षण की बात बाला साहेब और हमारे अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भी कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि इसमें साढ़े चार साल क्यों लग गए. लेकिन कभी कभी देरी से आए फैसले भी दुरुस्त होते हैं.


दलित-ओबीसी को मिले 85% आरक्षण: आरजेडी
आरजे़डी ने भी दलितों और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग की. बिल के समय पर सवाल उठाते हुए आरजेडी सांसद जय प्रकाश नारायण यादव ने कहा दलितों और पिछड़ों को अब 85% आरक्षण देना चाहिए. अब दलित और पिछड़ा वर्ग पचास फीसदी से संतुष्ट होने वाला नहीं है.

ये बिल संविधान के साथ फ्रॉड और आंबेडकर का अपमान है: ओवैसी
ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का खुकर विरोध किया. ओवैसी ने कहा कि सरकार संविधान के साथ फ्रॉड कर रही है. ओवैसी ने इसे बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान भी बताया. ओवैसी ने कहा, ''मैं इस बिल का विरोध करता हूं क्योंकि यह बिल संविधान के साथ खिलवाड़ करने वाला है और अंबेडकर का अपमान करता है. यह आरक्षण व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 15 व 16 के भी खिलाफ है, जिसमें आर्थिक आधार की कोई गुंजाइश नहीं है.'' ओवैसी ने अपने भाषण में कहा कि अदालत में यह बिल खड़ा नहीं हो पाएगा.