नोएडा के सेक्टर-100 के एक सोसायटी में कल यानी 18 अक्टूबर को कुत्ते के हमले के कारण एक मासूम की मौत हो गई. दरअसल लोटस बुलेवर्ड सोसायटी में एक आवारा कुत्ते ने 7 महीने के मासूम को गंभीर रूप से घायल कर दिया. वहीं शोर सुनकर जबतक लोग उसकी मदद करने पहुंचे तब तक बच्चा बुरी तरह घायल हो चुका था. जिसके बाद उसे सेक्टर-110 के यथार्थ हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां मासूम की मौत हो गई. 


इस घटना के अलावा भी नोएडा के ही सेक्टर-120 स्थित प्रतीक लारेल सोसायटी में दस अक्टूबर को आवारा कुत्ते ने एक महिला को काटकर बुरी तरह घायल कर दिया था. उन्हें आठ इंजेक्शन लगवाने पड़े थे. इसके अलावा 26 सितंबर को भी  कुत्तों के काटने से दो महिलाएं बेहोश हो गईं थी. 


ये कुछ घटनाएं तो बीते कुछ दिनों की है, लेकिन आए दिन सोशल मीडिया पर कुत्‍तों के हमलों की वीडियो वायरल होती रहती है. इन हमलों में केवल आवारा कुत्ते ही नहीं बल्कि पालतू कुत्ते भी शामिल हैं. 


अभी 12 अक्टूबर को ही नोएडा के सेक्टर-23 में 11 साल के बच्चे पर पिटबुल के एक ब्रीड ने जानलेवा हमला कर दिया था. हमले से घायल हुए बच्चे को 200 टांके आने के बाद जैसे-तैसे उसकी जान बची है. हाल के दिनों में यूपी से लेकर दिल्ली एनसीआर के अंदर पालतू कुत्ते के इंसान पर हमला करने का ये पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी यूपी के लखनऊ में एक पालतू पिटबुल कुत्ते ने अपनी 82 साल की मालकिन को बुरी तरह नोंच डाला था. इसके बाद उनकी मौत हो गई थी.


पिछले कुछ महीनों में कुत्तों के बढ़ते आतंक को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 12 अक्‍टूबर को एनिमल वेलफेयर बोर्ड से सबसे ज्यादा कुत्तों की तबाही से परेशान  राज्य और प्रमुख शहरों के 7 साल के आंकड़े और उसे रोकने के लिए किए गए उपायों की जानकारी मांगी है. 


आंकड़ों के अनुसार पिछले साल यानी 2021 में हर दिन कुत्ते सहित अन्य जानवर 19,938 लोगों को काट रहे हैं. वहीं WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में रेबीज के शिकार लोगों के मामले भी बढ़े हैं. इनमें से 99 प्रतिशत लोग इस बामारी का शिकार कुत्तों के काटने से हो रहे हैं. WHO के मुताबिक, हर साल भारत में 20,000 लोगों की जान रेबीज के संक्रमण के कारण चली जाती है.


देश में पालतू पशु 




कुत्तों के अलावा अन्य पालतू पशुओं की बात करें तो पाले जाने वाले जानवरों में गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सुअर समेत पालतू जनवरों की गिनती 19.24 करोड़ है. इस सभी जानवरों में सिर्फ गायों की गिनती ही 14.51 करोड़ है. अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा गायें राजस्‍थान (23 हजार) में हैं जिसके बाद महाराष्‍ट्र (18 हजार), उत्‍तर प्रदेश (16 हजार), बिहार और गुजरात (11 हजार) हैं.


बढ़ रहा है कुत्तों का आतंक 


पिछले 3 साल से नोएडा के एक शेल्टर में काम करने वाले विशाल त्यागी ने कहा कि आजकल कुत्तों को पालना जैसे ट्रेंड सा बन गया है. हर दूसरे घर में रहने वाले लोगों के पास कोई ना कोई जानवर है. इसके अलावा पशु प्रेमी अपने मोहल्ले के आवारा कुत्तों को भी खाना खिला देते हैं और उनका ख्याल रख लेते हैं. लेकिन इनकी संख्या इतनी बढ़ गई है कि यह रात में या अकेले लोगों पर हमला करने से नहीं झिझकते. अब ये कुत्ते बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं पर हमला कर रहे हैं और लोग अपने घरों से निकलने में भी डरने लगे हैं.


पालतू कुत्तों के आक्रामक होने के मामलों पर ABP न्यूज़ से बात करते हुए जानवरों के डॉक्टर अरुण ने कहा कि कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जहां पालतू कुत्ते अपने ही मालिक पर हमला कर दे रहे हैं. कुत्तों को हमेशा ही शांत और वफादार जानवर माना गया है. लेकिन कई बार हम अनजाने में अपने पालतू जानवर को आक्रामक बना देते हैं. ऐसे समझिये कि आपने अपने परिवार में एक कुत्ते को शामिल कर लिया, किसी भी कुत्ते या किसी अन्य जानवर को पालने के लिए उसे सही ट्रेनिंग दी जानी चाहिए, लेकिन आमतौर पर हम ऐसा नहीं करते हैं. ये उनके आक्रामक होने क् सबसे बड़े कारणों में से एक है. 


इसके अलावा मौसम, घर में बांध के रखना, कम लोगों से मिलना जुलना भी आक्रामक होने की वजह है. ऐसे समझिये कि कुछ हस्की जैसी ब्रीड केवल ठंड के मौसम में सर्वाइव करने के लिए बने हैं. लेकिन आजकल लोग दिल्ली एनसीआर में भी उसे पाल ले रहे हैं. ऐसे कुत्तों के लिए गर्मी झेलना मुश्किल हो जाता है और वो आक्रामक होने लगते हैं. 




कुत्तों का काटना है खतरनाक 


नई दिल्ली के यमुना विहार स्थित पेट्स क्लिनिक के डॉ. अवतार सिंह ने कहा कि कुत्तों के काटने से लोगों को रेबीज होने और अन्य जूनोटिक डिजीज का खतरा होता है. कुत्ता, बिल्ली और बंदरों में रेबीज का लासा वायरस होता है, जो काटते वक्त उसके लार के साथ इंसानी शरीर में पहुंच जाता है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों को लगता है कि पालतू कुत्तों के काटने से खतरा कम होता है लेकिन ऐसा नहीं है. डॉग बाइट के बाद लापरवाही बिल्कुल नहीं बरतनी चाहिए. लोगों को फर्स्ट ऐड के बाद प्रॉपर ट्रीटमेंट करना चाहिए.


आवारा कुत्तों की संख्या घटी 


एक तरफ जहां पिछले कुछ सालों में देश में कुत्तों से काटे जाने के मामले तेजी से बढ़े हैं. वहीं दूसरी तरफ सरकारी आंकड़ों की माने तो देश में आवारा कुत्तों की संख्या घट गई है. 2 अगस्त को लोकसभा में मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने बताया कि साल 2019 में भारत की सड़कों पर आवारा कुत्तों की आबादी 1.53 करोड़ रह गई है, जबकि साल 2012  में यही आबादी 1.71 करोड़ थी. ये आंकड़े दो साल पहले हुई पशुधन गणना के हवाले से जारी किए गए हैं.


उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कुत्ते


इसी आंकड़ों के मुताबिक देश के 17 राज्यों में आवारा कुत्तों की संख्या 1 लाख या इससे ज्यादा है. वहीं इन 17 राज्यों में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कुत्तों की आबादी है. जिनकी गिनती 20 लाख से अधिक है. रिपोर्ट की मानें तो साल 2012 से लेकर 2019 तक उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों की संख्या में सबसे ज्यादा कमी आई है. यूपी में साल 2012 आवारा कुत्तों का आंकड़ा 41.79 लाख था जो कि 2019 में 20.59 लाख तक हो गया. वहीं यूपी के बाद दूसरे स्थान पर राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की में भी आवारा कुत्तों की आबादी ज्यादा है. आंकड़ों के अनुसार, मणिपुर, दादर व नगर हवेली और लक्षद्वीप में एक भी कुत्ता नहीं है.




इन राज्यों में बढ़ गए कुत्ते


इसके अलावा जिन राज्यों में आवारा कुत्ते की संख्या बढ़ी है वह है कर्नाटक, कर्नाटक में आवारा कुत्तों की संख्या में  2.6 लाख की बढ़ोत्तरी हुई है. इसके अलावा राजस्थान में 1.25 लाख, ओडिशा में 87 हजार, गुजरात में 85 हजार, महाराष्ट्र में 60 हजार, छत्तीसगढ़ में 51 हजार, हरियाणा में 42 हजार, जम्मू और कश्मीर में 38 हजार और केरल में कुत्तों की संख्या में 21 हजार की बढ़ोत्तरी हुई है.


 


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