नई दिल्ली: वीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए मोदी सरकार की ओर से बड़ा फैसला किया गया है. गाड़ियों पर लाल बत्ती के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. एक मई से केंद्रीय मंत्री और केंद्रीय अधिकारी लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. हालांकि, राज्यों पर इस फैसले का क्या असर होगा, इस बारे में अभी चर्चा जारी है.


'वीआईपी कल्चर' पर अंकुश : एक मई से 'किसी' की गाड़ी पर नहीं होगी लाल बत्ती

ये लोग करते हैं लाल बत्ती का प्रयोग

मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक, देश में लाल बत्ती इस्तेमाल करने वाले प्रमुख लोगों में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, सभी कैबिनेट मंत्री औऱ कुछ कैबिनेट सचिव के अलावा कुछ सचिव स्तर के अधिकारी हैं.

केवल लाल बत्ती का इस्तेमाल करते हैं राज्यमंत्री

राष्ट्रपति से लेकर कैबिनेट स्तर के सचिव लाल बत्ती के साथ हूटर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल और कैबिनेट मंत्री भी लाल बत्ती के साथ हूटर का इस्तेमाल करते हैं. जबकि राज्यमंत्री केवल लाल बत्ती का इस्तेमाल करते हैं.

इमरजेंसी सेवाओं पर फैसले का असर नहीं

उपसचिव स्तर के जो अधिकरी हैं वह सिर्फ नीली बत्ती का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि जो इमरजेंसी सेवाएं जैसे एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां हैं वो नीली और लाल बत्ती का इस्तेमाल कर सकती हैं.

लाल बत्ती और नीली बत्ती के अलावा पीली बत्ती भी होती है. लेकिन इसका इस्तेमाल इनकम टैक्स कमिश्नर, रिवेन्यू कमिश्नर, डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ही करते हैं. हालांकि पुलिस अधिकारियों और रक्षा मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को लाल बत्ती लगाने की छूट है.

दरअसल सितबंर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में लाल बत्ती के सीमित इस्तेमाल की पैरवी की थी. हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी. गडकरी ने उस समय के बाद से चल रही प्रक्रिया, विभिन्न मंत्रालयों के साथ हुए पत्राचार, कानूनी राय और अब तक मिले सुझावों का ब्योरा भी प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा था. जिसके बाद यह फैसला लिया गया है.