नई दिल्ली : एक गर्भवती महिला जो हाथ में एके 47 लिए, 15 से 20 किलो का बैग कंधों पर लटकाकर नक्सलियों से लोहा लेने जंगलों में निकलती है तो शायद आपको यकीन नहीं होगा. लेकिन छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एक ऐसी ही डीआरजी दंतेश्वरी फाइटर्स की जांबाज महिला कमांडो सुनैना पटेल हैं. जो महिला सशक्तिकरण की सबसे बड़ी मिसाल हैं. काम का इतना जुनून है कि नक्सलियों से लोहा लेने बेखौफ होकर टीम के साथ जंगलों में निकल पड़ती हैं. गर्भवती होने के बाद भी सुनैना ने इस काम को नहीं छोड़ा, बल्कि इसी दौरान सबसे ज़्यादा काम किया.


आपको बता दें कि गर्भवती होने के बाद भी सुनैना भारी भरकम बोझ कंधों पर लटकाकर अपनी ड्यूटी करती रहीं. इस दौरान सुनैना जंगल झाड़ियों, पहाड़ों को पार कर पैदल कई किमी चलकर नक्सल ऑपरेशन में शामिल होती रहीं. साढ़े 6 महीने के बाद जब सभी को पता चला कि वह गर्भवती हैं तो हर कोई सुनैना की तारीफ कर रहा है. साथी महिला कमांडोज ने कहा कि सुनैना को अगर बेटी हुई तो हम उसे दंतेश्वरी फाइटर्स ही कहेंगे.


सुनैना ने कहा कि डीआरजी टीम गठित होने के करीब महीनेभर बाद ही मैं गर्भवती हो गई थी. मैंने इस बात की जानकारी अफसरों को इसलिए नहीं दी क्योंकि मैं नक्सल ऑपरेशन पर जाना चाहती थी. यह जानकारी अफसरों को होती तो शायद मुझे रोक दिया जाता. उन्होंने कहा कि मैंने साढ़े 6 महीने बाद अधिकारियों को गर्भवती होने की जानकारी दी. एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने भी सुनैना की काफी तारीफ की. सुनैना इस टीम की काफी तेज तर्रार महिला कमांडो है. अधिकारियों को जब पता चला तो उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए ऑपरेशन पर भेजना बन्द कर दिया.


मई 2019 के अंत में महिला पुलिस कर्मी व सरेंडर नक्सलियों को मिलाकर महिला डीआरजी की टीम गठित की गई थी. सुनैना नदी पार कर पाहुरनार गांव में मेगा हेल्थ कैम्प, चिकपाल कैम्प ओपनिंग, मड़कामीरास, जंगमपाल जैसे कई सारे नक्सल गांवों में ऑपरेशन, सर्चिंग में शामिल रही हैं. इसके अलावा चुनाव के वक़्त भी अंदरूनी इलाकों में ड्यूटी की है. पुलिस की बनाई शॉर्ट फिल्म नई सुबह का सूरज में सुनैना ने लीड रोल किया है.