नई दिल्ली: देश में जब-जब बड़े आतंकी हमले हुए उसमें लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों का नाम सामने आया है. लेकिन इस बार एक चौंकाने वाला खुलासा ये हुआ है कि अमरनाथ यात्रियों पर हमला लश्कर और हिजबुल ने मिलकर किया है. इस हमले के मास्टरमाइंड के तौर पर पाकिस्तानी आतंकी इस्माइल का नाम सामने आ रहा है. हालांकि अब तक किसी भी आतंकवादी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.
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एबीपी न्यूज़ को खुफिया विभाग के सूत्रों से बड़ी जानकारी मिली है. आईबी ने गृह मंत्री को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें बताया गया है लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन दोनों आतंकी संगठनों ने मिलकर इस हमले को अंजाम दिया है. इस हमले में भी पाकिस्तानी हाथ होने के पक्के सबूत भी मिले हैं.
सूत्रों के मुताबिक, आतंकी हमले के दौरान जिस गोली का इस्तेमाल किया गया वो पाकिस्तान की है. बस और यात्रियों पर चलाई गई गोली एके 47 राइफल की है और जिस ग्रेनेड लॉन्चर UBGL का इस्तेमाल हुआ है वो चीन का है.
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खुफिया सूत्रों के मुताबिक, हमले की पूरी साजिश पाकिस्तान के रहने वाले लश्कर के कमांडर इस्माइल ने रची थी. इस्माइल का पूरा नाम मोहम्मद अबू इस्माइल है. ये दक्षिण कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर में लश्कर का कमांडर है. स्थानीय आतंकी संगठनों के साथ इसके अच्छे रिश्ते हैं और स्थानीय आतंकी इसे मदद भी करते हैं.
इस्माइल के बारे ये जानकारी भी मिली है कि ये कुछ महीने पहले पुलवामा और बडगाम में हुई बैंक लूट में भी शामिल था. खुफिया सूत्रों के मुताबिक अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले में इस्माइल के साथ दो पाकिस्तानी आतंकी और दो स्थानीय आतंकी शामिल थे. हमले के लिए लश्कर के आतंकी इस्माइल को हिजबुल के स्थानीय आतंकियों ने मदद दी थी. बस पर फायरिंग के दौरान आतंकी बस में घुसकर बस को अपने कब्जे में लेना चाहते थे.
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खुफिया सूत्रों का कहना है कि आतंकियों की नजर उन बसों पर थी जो अमरनाथ यात्रा के काफिले से अलग चल रही थीं. मतलब ऐसी बसें जो सुरक्षा घेरे से बाहर थीं. आतंकी ताक लगाए बैठे थे और सोमवार रात उन्हें मौका मिल गया.
शुरुआती जांच में पता चला है कि इस हमले के लिए आतंकियों ने बाकायदा तीन दिन तक इलाके की रेकी भी की थी. ये आतंकी भेड़ चराने वाले गरड़िये के भेष में पूरे इलाके में घूम रहे थे और अमरनाथ यात्रा के काफिले पर लगातार नजर रखे हुए थे.
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लश्कर और हिजबुल पर शक की बड़ी वजह ये भी है, क्योंकि हिजबुल के सरगना सैयद सलाउद्दीन ने कुछ दिन पहले ही अमरनाथ यात्रा पर हमले की धमकी दी थी.
खुफिया एजेंसियों ने भी अमरनाथ यात्रा के लिए आतंकी खतरे का अलर्ट जारी किया था, जिसके बाद 40 हजार जवानों की तैनाती पूरी यात्रा के लिए की गई थी लेकिन चार-पांच आतंकी 40 हजार सुरक्षा कर्मियों पर भारी पड़े और सात अमरनाथ यात्रियों ने अपनी जान गंवानी पड़ी.