नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये बताना पड़ा कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में चार सीनियर जज जस्टिस जस्ती चलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन भीमाराव लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ मौजूद थे.


जानें, कौन हैं CJI पर सवाल उठाने वाले जस्टिस रंजन गोगोई?


जानें कौन हैं जस्टिस जस्ती चलमेश्वर?
जस्टिस चलमेश्वर का जन्म 23 जून 1953 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था. उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा वहीं के हिन्दू हाई स्कूल में ली. इसके बाद उन्होंने मद्रास के प्रतिष्ठित लोयोला कॉलेज से साइंस में ग्रेजुएशन किया. 1976 में उन्होंने विशाखापट्टनम की आंध्र यूनिवर्सिटी से लॉ की पढाई की.


1995 में वे एडिशनल एडवोकेट जनरल बने. 1997 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने और 2007 में गोहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने. 2010 में वे चीफ जस्टिस ऑफ केरेला बने और 2011 में माननीय सुप्रीम कोर्ट में जज बने. वर्तमान में चीफ जस्टिस के बाद वे सुप्रीम के सबसे सीनियर जज हैं.


जस्टिस जस्ती चलमेश्वर के चार बड़े फैसले
1- सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले देते हुए निजता को मौलिक अधिकार बताया. ये फैसला नौ जजों की बेंच ने दिया था जिसमें चेमलेश्वर शामिल थें


2- सुप्रीम कोर्ट ने इंफर्मेशन टेक्‍नोलॉजी एक्‍ट की धारा 66A को निरस्‍त किया था. सर्वोच्‍च अदालत ने इस धारा को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि धारा 66A अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का हनन है.


3- आधार कार्ड से भी जुड़ा एक बहुत ही अहम फैसला सुनाया था जिसके अंतर्गत आधार कार्ड के बिना कोई भी भारतीय नागरिक बुनियादी सेवाओं और सरकारी सब्सिडी से वंचित नहीं हो सकता है.


4- सुप्रीम कोर्ट ने जज-नियुक्ति में सरकार की भूमिका को खत्म कर दिया है लेकिन इस फैसले को लेने वाली संवैधानिक बेंच के पांच जजों में से एक का नज़रिया अलग था. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर के लिए कोलेजियम सिस्टम को बनाए रखने के पक्ष में चार जज थे, वहीं जस्टिस जे चेलामेश्वर इसके विपक्ष में थे.