जानें, कौन हैं अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए SC की तरफ से नियुक्त तीन मध्यस्थ
अयोध्या विवाद सुलझाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीन लोगों को मध्यस्थ बनाया है. इन तीनों का काम है कि सभी पक्षों की राय को सुनकर सुप्रीम कोर्ट को दें. कोर्ट ने कहा है कि सभी की राय गोपनीय रखा जाए.
नई दील्लीः अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों की कमेटी गठित की है. इन तीन सदस्यों में आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर, पूर्व जस्टिस केएम ख़लीफुल्ला और श्रीराम पांचु हैं. मध्यस्थता के जरिए मुद्दे को सुलझाने के लिए कोर्ट ने 8 हफ्ते का वक्त दिया है. कोर्ट ने जस्टिस ख़लीफुल्ला को इस पैनल का हेड बनाया है. कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता की जानकारी हमें सीलबंद लिफाफे में दें.
तीनों मध्यस्थ कौन हैं:-
पूर्व जस्टिस एफएम ख़लीफुल्ला पूर्व जस्टिस खलीफुल्ला का जन्म 23 जुलाई 1951 में तमिलनाडु में हुआ. साल 1975 में खलीफुल्ला एक वकील के तौर पर कोर्ट पहुंचे थे. 2 मार्च 2000 को उन्हें मद्रास हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया.
फरवरी 2011 में उन्हें जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट भेजा गया. यहां वह दो महीने तक कार्यकारी चीफ जस्टिस रहने के बाद, जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. दो अप्रैल 2012 को खलीफुल्ला को सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस नियुक्त किया गया. वे 22 जुलाई 2016 को रिटायर्ड हो गए.
श्रीराम पांचु श्रीराम पांचु एक वरिष्ठ वकील और मध्यस्थ हैं. द मेडिएशन चेम्बर्स के नाम से इन्होंने एक संस्था बनाया है जिसके जरिए मध्यस्थता और मध्यस्थता में शामिल होते हैं. पांचु भारतीय मध्यस्थों के संघ के अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थान (IMI) के बोर्ड में निदेशक भी हैं.
इन्होंने साल 2005 में भारत का पहला कोर्ट-एनेक्स मध्यस्थता केंद्र स्थापित किया. पांचु ने मध्यस्थता को भारत की कानूनी प्रणाली का हिस्सा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पांचु ने भारत के कई हिस्सों में वाणिज्यिक, कॉर्पोरेट समेत कई विवादों की मध्यस्थता की है.
श्री श्री रविशंकर देश और दुनिया में श्री श्री रविशंकर आध्यात्मिक गुरू के नाम से जाने जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने श्री श्री रविशंकर को भी इस मामले में मध्यस्थ बनाया है. श्री श्री रविशंकर के अनुयायी न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी फैले हुए हैं. श्री श्री रविशंकर आर्ट ऑफ लिविंग नाम की एक संस्था चलाते हैं. जिसके जरिए वह लोगों को जीने की कला सिखाते हैं.
युद्ध से प्रभावित लोगों के लिए श्री श्री रविशंकर ने सहायता कैम्प भी लगवाया है. इराक में भी संस्था ने 2003 में युद्ध प्रभावित लोगों को तनाव मुक्ति के उपाय बताए. इराक के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर श्री श्री रवि शंकर ने इराक का दौरा किया और वहां के शिया, सुन्नी तथा कुरदिश समुदाय के नेताओं से बातचीत की. 2004 में पाकिस्तान के उन नेताओं से भी मिले जो विश्व शांति स्थापना के पक्षधर थे. सुनामी पीड़ितों को भी इनकी संस्था ने खूब मदद की. दुनिया भर के कैदियों के उत्थान के लिए भी संस्था हमेश काम करती रहती है.भारत के दक्षिण राज्य में साल 1956 में जन्में श्री श्री रविशंकर वैदिक साहित्य और भौतिक से इन्होंने पढाई की है. 67887 बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने 618 स्कूल खुलवाएं हैं जिनमें से ज्यादातर स्कूल ग्रामीण और आदीवासी इलाकों में है.
बता दें कि कोर्ट ने पैनल से कहा है कि चार हफ्ते में पहली रिपोर्ट दें और आठ हफ्ते के अंदर पूरी रिपोर्ट सौंप दें. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाए. किसी भी पक्ष की राय लीक न की जाए न हीं इसकी कोई रिपोर्टिंग की जाए.
अयोध्या विवाद: मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गठित किया तीन लोगों का पैनल