जानिए देश की सबसे बड़ी अदालत में पहली महिला जज कौन रहीं, अब तक क्या रही महिला जजों की स्थिति? अब 3 नई महिला जज बनीं
पुरूषों की तुलना में सुप्रीम कोर्ट में अब तक बहुत कम महिला जज बनी हैं. हाल ही में जस्टिस इंदु मल्होत्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में केवल एक महिला न्यायाधीश हैं.
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नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में जल्द 9 नए जजों की नियुक्ति होगी. चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की तरफ से भेजे गए सभी 9 नामों को केंद्र ने स्वीकृति दे दी है. इनमें तीन महिला जज भी हैं. सुप्रीम कोर्ट में जजों के कुल 34 पदों में से 33 इन नियुक्तियों के बाद भर जाएंगे. जानिए सुप्रीम कोर्ट में अबतक महिला जजों की क्या स्थिति रही है.
भारत को मिल सकती है पहली महिला चीफ जस्सिटस
इन जजों में से भविष्य में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बी वी नागरत्ना और पी एस नरसिम्हा भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना हैं. अब तक सुप्रीम कोर्ट में कोई भी महिला चीफ जस्टिस नहीं हुई है. सितंबर 2027 में जस्टिस नागरत्ना के रूप में भारत को पहली महिला चीफ जस्टिस मिल सकती है.
पुरूषों की तुलना में सुप्रीम कोर्ट में महिला जज बेहद कम
पुरूषों की तुलना में सुप्रीम कोर्ट में अब तक बहुत कम महिला जज बनी हैं. हाल ही में जस्टिस इंदु मल्होत्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में केवल एक महिला न्यायाधीश हैं. जस्टिस इंद्रा बनर्जी अगले साल रिटायर हो जाएंगी. इनकी नियुक्ति साल 2018 में हुई थी.
फातिमा बीवी थी SC की पहली महिला न्यायाधीश
साल 1989 में नियुक्त जस्टिस फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश थीं. दूसरी महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुजाता वी मनोहर थीं, जिन्हें 1994 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था. इसके बाद तीसरी महिला न्यायाधीश रूमा पाल थीं, जो साल 2000 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं.
रूमा पाल के रिटायर होने के बाद बाद लंबा अंतराल रहा और फिर साल 2010 में जस्टिस सुधा मिश्रा आईं. साल 2011 में जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया. वहीं, साल 2014 में जस्टिस आर भानुमति को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था.
आज तक कोई महिला नहीं बनीं CJI
इन सभी महिला न्यायाधीशों ने सार्वजनिक, निजी कानून और शासन से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसले देकर भारतीय न्यायिक प्रणाली में अपना महान योगदान दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व में आने के 70 सालों बाद भी भारत की कोई महिला मुख्य न्यायाधीश नहीं बन पाई.
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