नई दिल्ली: कैराना लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी और महागठबंधन ने अपने-अपने सियासी दांव चले. महागठबंधन के दांव का दांव बीजेपी के दांव पर भारी पड़ा. कैराना में बीजेपी की रणनीति फेल हो गई. फूलपुर और गोरखपुर उपचुनाव की तरह विपक्षी एकता का कार्ड कैराना में भी काम कर गया.
बीजेपी कहां फेल हुई?
बीजेपी ने कैराना से मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया था. मृगांका बीजेपी के दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी हैं. सांसद हुकुम सिंह के निधन से ही कैराना की सीट खाली हुई है.
बीजेपी को उम्मीद थी कि हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई सीट पर मृगांका को सहानुभूति का फायदा मिलेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. जानकारों के मुताबिक मृंगाका को न तो सहानुभूति के ज्यादा वोट मिले बल्कि बीजेपी का गुर्जरों का अपना वोट बैंक भी छिटक गया.
विपक्ष का फॉर्मूला हिट
दूसरी तरफ महागठबंधन का मुस्लिम, जाट और दलित वोट का फॉर्मूला हिट हो गया. कैराना लोकसभा उपचुनाव 2019 के लिए चुनावी प्रयोगशाला बन गया था. अब अगर बीजेपी को 2019 में फिर से सत्ता पानी है तो विपक्ष के महागठबंन फॉर्मूला का तोड़ निकालना ही होगा.
कैराना में कौन जीता: कैराना में महागठबंधन की उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने बीजेपी उम्मीदवार मृगांका सिंह को हराया. ये सीट बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन की वजह से खाली हुई थी. मृगांका सिंह हुकुम सिंह की बेटी हैं. आरएलडी की तबस्सुम हसन को एसपी, बीएसपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का समर्थन हासिल था.