देशभर में कोरोना वायरस का खतरा अब भी बरकरार है. कई शहरों में लॉकडाउन लगाने की स्थिति बनी हुई है. कोरोना संक्रमण की वजह से कई लोग अपने परिजनों को खो चुके हैं. माना जा रहा है कि समय रहते इसपर ध्यान ना देने की वजह से मरीजों की स्थिति गंभीर हो जाती है. ऐसे में 14 दिनों का समय बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इन 14 दिनों में कई प्रकार के टेस्ट भी किए जाते हैं.
इस समय सीआरपी टेस्ट को प्रमुख माना जा रहा है. इस टेस्ट के जरिए बीमारी की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है और समय रहते इलाज भी संभव है. आइए, जानते हैं कि सीआरपी टेस्ट क्या है और कैसे इससे बीमारी की गंभीरता का पता लगाया जाता है.
सीआरपी टेस्ट को सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट भी कहा जाता है. यह ब्लड टेस्ट की तरह ही होता है, इस टेस्ट के जरिए एक्यूट इन्फ्लमेशन के बारे में पता लगाया जा सकता है .इस टेस्ट के जरिए सीआरपी का लेवल फेफड़ों में हुई क्षति और बीमारी की गंभीरता का पता चलता है. कोरोना संक्रमण के बारे में जानने के लिए यह टेस्ट करवाया जाता है. इस टेस्ट के जरिए डॉक्टर्स समझते हैं कि शरीर में संक्रमण किस स्तर तक फैला है.
जानिए कब करवाना होता है सीआरपी टेस्ट
डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना पॉजिटिव होने के 4 से 5 दिन बाद सीआरपी टेस्ट करवा लेना चाहिए. वहीं, कम उम्र के लोगों के लिए ये टेस्ट करवाना जरूरी नहीं होता है. डॉक्टरों का मानना है कि यदि लंबे समय तक खांसी बुखार की समस्या बनी रहती है तो ये टेस्ट करवा लेना चाहिए.. इस टेस्ट के जरिए बिना सीटी स्कैन करवाए इन्फेक्शन के बारे में पता चलता है. टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टरों की सलाह जरूर ले लें.
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