Nag Panchami 2020: जानिए क्यों भगवान शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है नाग पंचमी
भगवान शिव और विष्णु के भक्त बहुत श्रद्धा के साथ नाग पंचमी मनाते हैं. इस दिन सांपो को दूध पिलाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है.
नई दिल्ली: देशभर में आज नागपंचमी मनाई जा रही है. यह दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु के भक्तों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भक्त सांपो को दूध पिलाते हैं और उनकी पूजा करते हैं. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक, सावन माह की शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है. शिव भक्तों के लिए सावन का महीना काफी विशेष होता है. यह पूरा महीना ही भगवान शिव को समर्पित होता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सांपों को लंबे समय से हिंदू पौराणिक कथाओं में कई भगवानों के साथ जोड़ा गया है. 'छह सिर वाला सर्प' हो या भगवान विष्णु का वाहन 'शेषनाग'. हिन्दू पौराणिक कथाओं में नागों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है. इसी कारण नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है.
नाग पंचमी 2020 तिथि और समय
नाग पंचमी तिथि: शनिवार, 25 जुलाई 2020 पूजा मुहूर्त: सुबह 05:39 से रात 08:22 तक अवधि: 2 घंटे 44 मिनट पंचमी तिथि 24 जुलाई, 2020 को अपराह्न 02:34 बजे शुरू होती है पंचमी तिथि 25 जुलाई, 2020 को दोपहर 12:02 बजे समाप्त होती है
नाग पंचमी पूजा
नाग पंचमी के दिन मुख्य अनुष्ठान में नाग देवता को दूध चढ़ाया जाता है. भारत में पंचमी तिथि को सांपों को दूध चढ़ाना एक पुरानी परंपरा है. यह कहा जाता है कि अनुष्ठान बुराई को दूर रखता है. कई लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं. मुख्य सामग्री के रूप में दूध से बना भोजन भी भगवान को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. लोग पूजा के लिए घर पर मिट्टी के साथ सांप की मूर्तियाँ बनाते हैं. पूजा के लिए दूध, हल्दी, कुमकुम और फूलों का उपयोग किया जाता है. फूल और दूध भी बिलों और छेदों के पास रखे जाते हैं, जहां सांप पाए जा सकते हैं.
नाग पंचमी पूजा के मंत्र
नाग पंचमी के दिन 'ऊं भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्.' इस मंत्र के साथ ही नाग देवता की पूजा की जाती है. इसके अलावा 'सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले. ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:. ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन: का जाप भी किया जाता है.
नाग पंचमी और पौराणिक कथा
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव के नाग वासुकी ने समुद्र मंथन में भाग लिया, जो कि अमृत की उत्पत्ति या अमरता का अमृत बताते हैं. वासुकी ने देवों और असुरों दोनों को उसे माउंट मंदरा या मंदार पर्वत पर बांधने में मदद की, जिससे वे उसे समुद्र मंथन से प्राप्त होने वाली रस्सी के रूप में उसका उपयोग कर सकें. वासुकी का उल्लेख हिंदू धर्मग्रंथों और रामायण और महाभारत के महाकाव्यों में बड़े पैमाने पर मिलता है. भारत में नाग पंचमी पर भक्त कई नाग देवता की प्रार्थना करते हैं. उनमें से कुछ हैं अनंत, शेष, पद्म, कंबाला, कालिया और वासुकी.
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